गलत मानचित्र पर संयुक्त राष्ट्र को दिया ‘दम’!

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संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर भारत के गलत मानचित्र को लेकर सरकार ने संसद में सफाई पेश की है। सरकार ने कहा है कि इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के समक्ष कड़ाई से रखा गया है। भारत सरकार के विरोध के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र ने अपनी वेबसाइट पर अस्वीकरण (डिस्क्लेमर) डाल दिया है।

विदेश राज्य मंत्री ने राज्यसभा को सूचित किया कि “विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर भारत के मानचित्र के गलत चित्रण का मुद्दा डब्ल्यूएचओ के साथ उच्चस्तर पर उठाया गया है। इसके उत्तर में, डब्ल्यूएचओ ने जिनेवा में भारत के स्थाई मिशन को सूचित किया है कि उन्होंने अपने पोर्टल पर एक अस्वीकरण डाल दिया है”

संयुक्त राष्ट्र का उत्तर

अपने अस्वीकरण में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने उल्लेख किया है कि,
“डिस्क्लेमर के अनुसार, इन सामग्रियों की प्रस्तुति का अर्थ ये नहीं है कि डब्ल्यूएचओ की ओर से किसी भी देश, क्षेत्र या हिस्से व उसके अधिकार या उसकी सीमाओं के परिसीमन को प्रभावित किया जाए। मानचित्रों पर बिंदीदार / हल्की रेखाएं सीमा का अनुमान प्रस्तुत करती हैं जिसको लेकर पूर्ण सहमति नहीं हो सकती है।”

क्या है मु्द्दा?
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भारत का त्रुटिपूर्ण मानचित्र दर्शाया गया था। इस पर भारत की ओर से तीन बार कड़ाई से विरोध दर्शाया गया। इस विषय में भारत ने पहली बार दिसंबर 2019 में विरोध दर्ज कराते हुए पत्र लिखा था। इस मामले में भारत की ओर से एक महीने में तीन बार संयुक्त राष्ट्र के अध्यक्ष टेड्रोस एडहनॉम को पत्र लिखा गया था।

मानचित्र में क्या है गलत?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के नक्शे में जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख को शेष भारत से अलग रंग में दर्शाया गया है। इसके अलावा 5,168 किलोमीटर की शक्सगाम घाटी को चीन का क्षेत्र दर्शाया गया है। इस क्षेत्र को पाकिस्तान ने 1963 में अवैध रूप से चीन को दे दिया था। 1954 में चीन द्वारा जबरन कब्जा किये गए अक्साई चीन को भी नीले रंग में दर्शाया गया है।

चीन से साठगांठ से इन्कार नहीं
संयुक्त राष्ट्र और चीन के मध्य साठगांठ का मामला लंबे समय से विवाद में रहा है। कोविड-19 को वुहान की वायरोलॉजी प्रयोगशाला से फैलाए जाने के अमेरिका के आरोपों पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा चीन का पक्ष लेना चर्चा में रहा था। इसके लिए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को दिये जानेवाले अनुदान पर रोक लगाने की घोषणा कर दी थी। अब भारत की सीमाओं और उसके मनचित्र को लेकर संयुक्त राष्ट्र द्वारा की जा रही गलतियों को चीन से प्रेरित होकर किये जाने के आरोप भी लग रहे हैं।

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