रक्षा मंत्रालय ने 108 वस्तुओं की दूसरी सूची को मान्यता दे दी है। जिसे अब के अंतर्गत आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत देश में ही विकसित किया जाएगा। यह आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी के साथ स्वदेशीकरण को और बढ़ावा देगा।
इस सूची में उन हथियारों व प्रणालियों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जो वर्तमान में विकास/परीक्षणों के अधीन हैं और भविष्य में निर्माण प्रक्रिया पूरी कर सकती हैं। पहली सूची की तरह, गोला-बारूद के आयात पर नियंत्रण का विशेष ध्यान दिया गया है। यह सूची न केवल स्थानीय रक्षा उद्योग की क्षमता के अनुकूल बनाई गई है बल्कि यह प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षमताओं में नए निवेश को आकर्षित करके घरेलू अनुसंधान और विकास को भी बढ़ावा देगी।
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इन आयुध संसाधनों पर रहेगा जोर
दूसरी सूची में जटिल प्रणाली, सेंसर, सिम्युलेटर, हथियार और गोला-बारूद, हेलीकॉप्टर, अगली पीढ़ी के कार्वेट शामिल हैं। एयर बोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम, टैंक इंजन, पहाड़ों के लिए मीडियम पावर राडार, वेपन सिस्टम और भारतीय सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऐसी ही कई वस्तुएं इसमें शामिल हैं। इस दूसरी सूची को दिसंबर से उत्तरोत्तर लागू करने की योजना है।
यह सूची भारतीय उद्योग की भविष्य की क्षमताओं का आकलन करने के लिए सरकारी और निजी विनिर्माण उद्योग संघों के साथ कई दौर के परामर्श के बाद रक्षा मंत्रालय द्वारा तैयार की गई है, जो सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होगी।
पहली सूची थी 101 वस्तुओं की
अगस्त 2020 में, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के सरकार के प्रयास के अनुसरण में और रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए, 101 वस्तुओं वाली ‘पहली सकारात्मक स्वदेशीकरण’ सूची को अधिसूचित किया गया था। उस समय, इस बात पर भी प्रकाश डाला गया था कि देश में रक्षा निर्माण को सुविधाजनक बनाने और प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे और अधिक उपकरणों की उत्तरोत्तर पहचान की जाएगी।