मुंबई। लद्दाख में चीन की सेना को लताड़ने के बाद डिजिटल फ्रंट पर भारत ने प्रहार 118 किया है। इस प्रहार से चीन को बड़े स्तर पर आर्थिक नुकसान होगा। इसके साथ ही चीन के सैनिक सीमा पर भी रोज मुंह की खा रहे हैं। उसके सैनिक भारतीय सेना के सामने भागने पर मजबूर हैं।
जिनके घर शीशे के होते हैं वे दूसरों के घर पर पत्थर नहीं मारते… लेकिन चालबाज चीन है कि मानता ही नहीं। जिस भारत से उसके साजो सामान की इंडस्ट्री मालामाल है, जिससे उसकी इकोनॉमी प्रगति के नए झंडे गाड़ रही है उसी भारत के साथ वो धोखा कर रहा है। भारत की आवश्यकताओं को वो कमजोरी समझने लगा और अपनी विस्तारवादी नीति के अंतर्गत फिर शांत पड़ी भारतीय सीमा में उसके सैनिकों ने भूमि पर कब्जा करना शुरू कर दिया। इसकी परिणति हुई कि 15 जून को गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीन के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई। इसमें 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए। इस बीच भारत और चीन के बीच लगातार सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत चल रही है। लेकिन चीन बातचीत में जिस बात को मानता है उसके सैनिक ठीक उसका उलटा करते हैं। इसी तरह की घटनाएं एक बार फिर 29 से 31 अगस्त के बाच घटी। जिसमें चीन की सेना पैंगोंग त्सो झील के दक्षिण में स्थित ब्लैक टॉप हिल पर कब्जा करने पहुंची। लेकिन उनकी यह योजना उन पर ही उलट गई। भारत के जाबांज सैनिकों ने चीनी सैनिकों को भागने पर मजबूर कर दिया। इसके दूसरे दिन चीन ने तत्काल दोनों देशों के बीच ब्रिगेडियर स्तर की बैठक करने की मांग की जिसे भारत ने भी स्वीकार कर लिया और बैठक हुई भी लेकिन इसके बावजूद चीन के सैनिक अपनी गतिविधियां जारी रखे हुए हैं। चीन की इन चालबाजियों के खिलाफ भारत ने कड़ा कदम उठाते हुए उसके 118 ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके पहले भी टीक टॉक समेत 59 मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लग चुका है। जबकि अब 118 मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध के बाद अब तक कुल 177 चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लग चुका है। भारत ने इन प्रतिबंधों के पीछे सुरक्षा कारणों को बताया है। इन ऐप के जरिये चीन भारत की सूचनाओं को प्राप्त कर रहा था और उनका उपयोग वो भारत के खिलाफ कर सकता था।