मुंबई। भारत के पड़ोसियों में पाकिस्तान और चीन की चालबाजी से दोनों देशों से लगी सीमाओं पर वर्तमान समय में स्थिति चिंताजनक है। इन देशों की किसी भी चालबाजी का मुंहतोड़ उत्तर देने के लिए भारतीय सेना चौबीस घंटे सक्रियता से सीमाओं की सुरक्षा करती है। इसके साथ ही इन सेनाओं को आधुनिक हथियारों से भी लैस किया गया है। जिससे भारत इन देशों की बुरी नजरों से बचता रहा है।
बता दें कि
किसी भी देश के एयर डिफेंस सिस्टम सिर्फ वायु सेना तक सीमित नहीं रहते। उनमें वायु, जल और थल सेना का पूरा साथ रहता है क्योंकि किसी भी जगह से हमला हो सकता है। ये दो तरह से देश की रक्षा करते हैं पहला खतरे का पता लगाना और दूसरा खतरे को नुकसान पहुंचाने से रोकना। खतरे का पता लगाना यानी थ्रेट डिटेक्शन के लिए राडार और Airborne Warning and Control System (AWACS) का इस्तेमाल होता है। दूसरे काम यानी खतरे को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए उसे नष्ट करने के लिए इस्तेमाल होता है इसमें फाइटर जेट और मिसाइल सिस्टम मौजूद हैं।
1. आकाश सैम:
ये लो से मीडियम रेंज सरफेस एयर मिसाइस सिस्टम है जो भारतीय थल और वायु सेना दोनों के पास है। इस मिसाइल सिस्टम की अधिकतम स्पीड 2.5 मैक (साउंड स्पीड) है और ये दो 0.5 से 18 किलोमीटर ऊंचाई तक हमला कर सकती है। ये दुश्मनों के ड्रोन से लेकर हेलिकॉप्टर, फाइटर और यहां तक कि मिसाइल को भी आसानी से नष्ट कर सकता है। इस एयर डिफेंस सिस्टम का दिल है ‘राजेंद्र राडार’ जो इसे गाइडेंस देता है और साथ ही ये भी बताता है कि कहां से हमला हो रहा है। ये राडार 60-80 किलोमीटर तक के क्षेत्र में प्रभावी रहता है। ये इलेक्ट्रिक काउंटर हमले से खराब नहीं किया जा सकता क्योंकि इसके लिए राजेंद्र राडार को नष्ट करने की जरूरत पड़ेगी जो लगभग नामुमकिन है। आकाश सिस्टम का एयरफोर्स वर्जन और आर्मी वर्जन दोनों ही अलग-अलग हैं। आकाश मिसाइल सिस्टम एक साथ कई हमलों को नाकाम कर सकता है।
आकाश मिसाइल सिस्टम एक साथ कई हमलों को नाकाम कर सकता है।
2. SA-6 या 2K12 ‘Kub’:
ये सिस्टम सैम यानी Surface-to-air missile पर आधारित है। इसका मतलब कि ये जमीन से ही आसमान में फायर कर सकता है। सोवियत यूनियन के समय का ये लो टू मीडियम लेवल एयर डिफेंस सिस्टम वैसे तो काफी पुराना है और इसे खत्म कर ज्यादा से ज्यादा आकाश सिस्टम लगाने की बात की जाती है, लेकिन फिर भी अभी ये कई जगहों पर इस्तेमाल हो रहा है। ये सिस्टम 24 किलोमीटर तक टार्गेट कर सकता है और 14 किलोमीटर की ऊंचाई तक मारक क्षमता रखता है। ये सिस्टम एक समय पर एक या दो मिसाइल पर ही हमला कर सकता है जबकि आकाश सिस्टम एक साथ कई मिसाइल पर हमला कर सकता है।
3. SA-3 या S-125 ‘Pechora’ :
ये भी सोवियत यूनियन के समय का डिफेंस सिस्टम है जो अभी भी भारत में इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि, इसे हटाकर भी सभी जगहों पर आकाश सिस्टम लगाने की बात है, लेकिन जब तक ये पूरी तरह से नहीं लगाए जा सकते तब तक ये पुराने सिस्टम भी इस्तेमाल हो रहे हैं। ये 100 मीटर से लेकर 18 किलोमीटर तक की ऊंचाई तक मारक क्षमता रखता है। इसकी न्यूनतम रेंज 3.5 किलोमीटर है और अधिकतम रेंज 35 किलोमीटर।
4. SA-5 या S-200 :
ये मीडियम टू हाई लेवल मिसाइल सिस्टम है और बेहद कारगर है। इस सिस्टम को बहुत ऊंचाई पर उड़ने वाले फाइटर जेट आदि के लिए लगाया गया है। इसकी रेंज 150 किलोमीटर से 300 किलोमीटर के बीच है और इसकी स्पीड 8 मैक है। इसका राडार सिस्टम भी काफी मजबूत है और ये सिस्टम लॉन्ग रेंज बम से बचाने में बहुत महत्वपूर्ण रोल निभा सकते हैं। पर ये भी इससे ताकतवर S-400 एयर डिफेंस सिस्टम से रिप्लेस कर दिया जाएगा। ये सिस्टम रूस से आ रहा है और जब ये भारत में आ जाएगा तो भारतीय सेना बहुत ताकतवर हो जाएगी।
5. SA-8 ‘Gecko Mod-1’ या 9K33 ‘OSA-AKM’ : ये सिस्टम बहुत ज्यादा मोबाइल है यानी ये आसानी से कहीं भी ले जाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी रेंज छोटी है और ये भी सोवियत यूनियन के समय का सिस्टम है। इस सिस्टम में मिसाइल एक गाड़ी के ऊपर लगी होती है और इस सिस्टम का अपना राडार भी है। इसे बाकी राडार सिस्टम के साथ या उसके अलावा भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी रेंज 15 किलोमीटर की है और ये 12 किलोमीटर की ऊंचाई मारक क्षमता रखता है।
6. SA-13 ‘Gopher’ या 9K35 ‘Strela 10M3’ :
ये सिस्टम बहुत कम लेवल के हमले के लिए है और इसे 0.8 किलोमीटर से लेकर 5 किलोमीटर के इलाके में इस्तेमाल किया जा सकता है। ये 25 मीटर से 3500 मीटर की ऊंचाई पर हमला कर सकता है।
7. SA-19 ‘Grison’ या 2K22 ‘Tunguska’ :
ये बेहद चर्चित एयर डिफेंस मोड है। ये काफी कम रेंज से भी मारक क्षमता रखता है। इसमें 0.2 से लेकर 4 किलोमीटर की रेंज में भी मारने की क्षमता है और साथ ही इसमें 10 किलोमीटर तक के टार्गेट को मारने की क्षमता है। इसमें मौजूद गन 1 मिनट में 4000 से 5000 राउंड फायर कर सकती है और भारतीय सेना के पास इसके करीब 20-90 यूनिट सर्विस में हैं। ये डिफेंस सिस्टम शॉर्ट रेंज मारक क्षमता रखता है।
ये डिफेंस सिस्टम शॉर्ट रेंज मारक क्षमता रखता है।
8. ZSU-23-2 और ZSU-23-4 ‘Shilka’ :
ये दोनों ही एंटी एयर क्राफ्ट गन हैं। पहली वाली ट्विन कैनन एंटी एयर गन है और दूसरी वाली स्वचालित गन है। इन गनों से 2000 राउंड एक मिनट में फायर किए जा सकते हैं और ये बंदूकें लो लेवल एयर डिफेंस के लिए इस्तेमाल होती हैं। ये नीचे उड़ने वाले ड्रोन और हेलिकॉप्टर पर इस्तेमाल हो सकती हैं। इसे पूरा एयर डिफेंस सिस्टम कहना गलत होगा क्योंकि ये बहुत मॉर्डन नहीं है, लेकिन फिर भी ये सपोर्ट सिस्टम के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
9. FIM-92 ‘Stinger’ :
ये मानव चलित एयर डिफेंस सिस्टम है (MANPADS- SAM)। इसमें इंफ्रारेड तकनीक का इस्तेमाल होता है और ये 8 किलोमीटर तक के टार्गेट पर हमला कर सकता है।
10. 9K38 Igla :
ये भी एक तरह का इन्फ्रारेड साधक है अमेरिकन स्ट्रिंगर मिसाइल का रूसी स्वरूप है। इस सिस्टम की मदद से 5.2 किलोमीटर तक के टार्गेट पर हमला किया जा सकता है।
11. BARAK-8 :
भारत के कुछ सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम में से एक है। ये इंडो-इजराइली सिस्टम एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर, एंटी-शिप मिसाइल और क्रूज मिसाइल सिस्टम पर हमला करने की ताकत रखता है। इसे पहले भारतीय और इजराइली सेना के जहाजों की रक्षा के लिए बनाया गया था। लो से मीडियम रेंज के मिसाइल सिस्टम को भारतीय सेना के सबसे बेहतर सिस्टम में से एक माना जाता है। इसकी रेंज 0.5 से लेकर 100 किलोमीटर तक की है। इसका एक्सटेंडेड रेंज वेरिएंट भी अभी बनाया जा रहा है जो 150 किलोमीटर तक हमला कर सकता है।
12. SPYDER (Surface to Air PYthon and DERby) :
ये लो लेवल मिसाइल सिस्टम त्वरित एक्शन के लिए है। इस सिस्टम में क्षमता है कि एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर, ड्रोन और अन्य तक की मिसाइल का पता लगाकर हमला कर सके। इसमें AIR to AIR मिसाइल जैसे पाइथॉन और डर्बी का इस्तेमाल किया जाता है जो जमीन से हवा में फायर की जा सकती हैं। SPYDER-MR की रेंज 35 किलोमीटर तक की है और SPYDER-SR की रेंज 15 किलोमीटर तक की है।
13. Prithvi Air Defense/Pradhyumna :
एयर डिफेंस सिर्फ एयरक्राफ्ट के लिए नहीं है बल्कि मौजूदा स्थिति में ये बैलिस्टिक मिसाइल के हमले से बचने के लिए भी होता है। ये टू-स्टेज मिसाइल सिस्टम है जो 80 किलोमीटर तक के एरिया में हमला कर सकती है। ये Mach 5 स्पीड पर हमला कर सकती है और 300 से 2000 किलोमीटर रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइल को रोकने में सक्षम है।
14. अन्य सिस्टम :
भारत के पास कई ताकतवर राडार सिस्टम भी हैं जो हमले का पता लगाने में सक्षम हैं। इनमें शॉर्ट रेंज, मिड रेंज और हाई रेंज राडार सिस्टम शामिल हैं। शॉर्ट रेंज में 36D6 टिन शील्ड राडार सिस्टम है जो 80-170 किलेमीटर की रेंज पर काम कर सकता है (इस बात पर रेंज निर्भर करती है कि इसे कहां लगाया गया है) हालांकि, इसमें काबिलियत थोड़ी कम है। इसकी जगह Thales GS-100 AESA radar के उपयोग किये जा रहे हैं। ये INDRA-I और II के साथ काम कर सकता है। जहां 36D6 और GS-100 राडार दुश्मन को ट्रैक कर सकता है वहीं INDRA राडार किसी ऐसी मिसाइल को जाम कर सकता है जो अन्य राडार की तरफ बढ़ रही हों। ये 150 किलोमीटर तक ट्रैक कर सकता है। इसके अलावा, भारतीय सेना के पास कई फाइटर जेट की फ्लीट है जिसमें, सुखोई विमान से लेकर तेजस, मिराज 2000, मिग 21, मिग 29 विमान शामिल हैं।