15 अगस्त को दंतेवाड़ा के 15 गांवों को नक्सल मुक्त घोषित किया जाएगा। हालांकि यह छत्तीसगढ़ की नक्सल मुक्ति की दिशा में एक छोटा-सा कदम है, लेकिन इसी तरह के प्रयास महाराष्ट्र में भी किए जा रहे हैं। इसके लिए नक्सलियों को सरेंडर करने हेतु प्रोत्साहित करने के साथ ही उन्हें मौत के घाट उतारने तक तमाम तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं।
ग्राम पंचायत ने घोषित किया नक्सल मुक्त गांव
गढ़चिरौली के पुलिस उपायुक्त अंकित गोयल ने हिंदुस्थान पोस्ट से बात करते हुए बताया कि कैसे नक्सल ग्रस्त गांवों को नक्सल मुक्त बनाया जा सकता है और महाराष्ट्र में कैसे प्रयास चल रहे हैं। पुलिस उपायुक्त ने बताया कि गांव को नक्सलियों से मुक्त कराने की घोषणा पुलिस ने नहीं, बल्कि संबंधित गांव की ग्राम पंचायत करती है। ग्राम पंचायत के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद संबंधित गांव को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया जाता है। इसमें नक्सल क्षेत्रों में कार्यरत सीमा सुरक्षा बल, पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की भूमिका अहम है। वे सबसे पहले वहां नक्सली गतिविधियों को खत्म करने का प्रयास करते हैं। जिस तरह दंतेवाड़ा के गांवों को नक्सल मुक्त घोषित किया जाएगा, उसी तरह महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के नक्सल प्रभावित इलाकों के 4-5 गांवों को नक्सल मुक्त घोषित किया जाएगा। इन गांवों में नक्सली गतिविधियां पूरी तरह खत्म हो गई हैं।
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पूर्व पुलिस उपाधीक्षक ने दी जानकारी
गढ़चिरौली के सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक हारुन रिजवी ने बताया कि नक्सल प्रभावित गांव को नक्सल मुक्त करने के लिए स्थानीय प्रशासन यानी ग्राम पंचायत और जिला पंचायत पुलिस के साथ मिलकर काम करती है। नक्सलियों की मानसिकता बदलना हमारी पहली प्राथमिकता होती है। हम उन्हें आत्मसमर्पण कराने के लिए विभिन्न तरह के अभियान चलाते हैं। हम गांव में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए विशेष प्रयास करते हैं। इसमें नक्सलियों को मारना हमारा आखिरी उपाय होता है। 2 महीने पहले मैं गढ़चिरौली से पुलिस उपाधीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुआ हूं। हालांकि मेरे करियर में 26 झड़पें हो चुकी थीं। इसके बावजूद हमने नक्सलियों को समर्पण करने और विकास कार्यों को अंजाम देने के लिए विशेष प्रयास किए थे।
कराया गया सर्वे!
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के 15 गांव नक्सल मुक्त होंगे। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर इसकी घोषणा की जाएगी। इन गांवो के नाम बारसूर ,गिदम, भंसी, दंतेवाड़ा, कुआकोंडा, फरसपाल आदि हैं। इससे पहले गांव का सर्वे किया गया था। ग्रामीणों से 10 सवाल पूछे गए थे। क्या पिछले 10 सालों में गांव में कोई नक्सली कार्रवाई हुई है? क्या नक्सलियों की बैठक हुई थी? क्या बिना सुरक्षा के गांव में विकास कार्य होते हैं? इस तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं। जिन गांवों में नक्सली गतिविधियां शून्य होती हैं, उन गांवों को नक्सल मुक्त घोषित करने का निर्णय लिया जाता है।
दंतेवाड़ा जिले के 75 गांव संवेदनशील!
दंतेवाड़ा जिले में 42 गांव येलो और 33 गांव रेड जोन में हैं। नक्सलियों के आत्मसमर्पण करने की मुहिम के कारण और पिछले दो सालों में 40 से ज्यादा नक्सलियों के खात्मे के कारण नक्सली निष्प्रभावी हो गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप यहां के 15 गांव नक्सल मुक्त हो गए हैं।