जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने पिछले तीन वर्षों में कई मुठभेड़ों के साथ ही सुरक्षा कानूनों के तहत गिरफ्तारी, कथित फंडिंग नेटवर्क को तोड़ने के लिए प्रवर्तन और कर से संबंधित छापे के साथ-साथ ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई काफी तेज कर दी है।
पिछले चार वर्षों के आंकड़ों के एक अध्ययन से पता चलता है कि इन क्षेत्रों में यूएपीए और पीएसए का उपयोग बढ़ा है। 2019 से अब तक जम्मू -कश्मीर पुलिस ने ओजीडब्ल्यू नेटवर्क को खत्म कर दिया है और ऐसे 1,900 लोगों को गिरफ्तार किया है, जो आतंकवादियों की मदद कर रहे थे।
195 आतंकी मॉड्यूल और 35 साइट्स नष्ट
केंद्र शासित प्रदेश द्वारा संकलित सेना के आंकड़ों के अनुसार, 2020 और 2021 में जम्मू-कश्मीर में 195 आतंकी मॉड्यूल और 35 साइटों को नष्ट कर दिया गया। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अब तक आतंकवाद विरोधी अभियानों का फोकस आतंकियों को खत्म करने पर होता था, लेकिन अब प्रभावी रणनीति पूरे आतंकी ढांचे पर होनी चाहिए। यह उनकी लॉजिस्टिक्स, फंडिंग और अन्य तरह के नेटवर्क को खत्म कर ही किया जा सकता है।
खास बातें
- जम्मू-कश्मीर में यूपीएए और पीएसए के तहत मामलों की संख्या बढ़ी है। 2019 से 2021 तक यूपीएए के तहत मामलों की संख्या इस प्रकार रही है। 2019 में 437 से बढ़कर 2020 में 557 हो गई, जबकि 2021 में यह 500 से कम रही। पिछले तीन साल में इस तरह के 2700 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से आधे से ज्यादा (1362) जेल में हैं।
- आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में वर्तमान में 169 आतंकवादी सक्रिय हैं, जिनमें से 163 घाटी में हैं। 2021 में संगठन में शामिल हुए 134 आतंकवादियों में से 72 विभिन्न अभियानों में मारे गए। इनमें से 22 को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि 40 अभी भी सक्रिय हैं।
- 2021 में, जम्मू-कश्मीर पुलिस के 20 जवान और सुरक्षा बलों के 23 जवान आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में हुतात्मा हो गए।
- जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को 2021 में सुरक्षा बलों द्वारा सबसे अधिक मारा गया है, उसके बाद हिजबुल मुजाहिदीन का नंबर है। 2021 में सीमा पार करने वालों की संख्या में भी कमी आई है। 73 लोगों ने सीमा पार करने की कोशिश की और उनमें से 34 सफल रहे। 2020 में यह संख्या 99 में 51 थी।