पाकिस्तान को 51 साल पहले आज के ही दिन युद्ध में हराने की स्मृति में शुक्रवार को सशस्त्र बल ‘विजय दिवस’ मना रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) और तीनों सेना प्रमुखों ने नेशनल वॉर मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। विजय दिवस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 1971 के युद्ध में बर्बरता पर मानवता की जीत थी। पूरे देश के सेना कमांडरों ने विभिन्न स्मारकों पर श्रद्धांजलि देकर शहीदों को याद किया।
रक्षा मंत्री के साथ ही रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने, सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और भारतीय नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह और जम्मू जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मुकेश सिंह ने विजय दिवस के अवसर पर जम्मू में बलिदान स्तंभ पर माल्यार्पण किया। कोलकाता में पूर्वी सेना कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता ने विजय स्मारक पर श्रद्धांजलि दी। जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट जनरल एनके खंडूरी जम्मू में विजय दिवस के अवसर पर बलिदान स्तंभ पर पुष्पांजलि समारोह में शामिल हुए।
रक्षा मंत्री ने योद्धाओं के बलिदान को किया नमन
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया कि आज विजय दिवस के अवसर पर देश भारत के सशस्त्र बलों के अनुकरणीय साहस, शौर्य और बलिदान को नमन करता है। 1971 का युद्ध अमानवीयता पर मानवता, दुराचार पर सदाचार और अन्याय पर न्याय की जीत था। भारत को अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है। इसके साथ ही भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भी 1971 के युद्ध में भारत को जीत दिलाने वाले बहादुर भारतीय सशस्त्र बलों को सलाम किया। उन्होंने भी ट्वीट कर कहा है कि विजय दिवस के अवसर पर राष्ट्र के साथ उन बहादुर भारतीय सशस्त्र बलों को सलाम करें, जिनकी वीरता के कारण 1971 के युद्ध में निर्णायक जीत मिली। हम उनकी सेवा और बलिदान के सदैव आभारी रहेंगे।
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पाकिस्तान पर भारत की जीत पर मनाया जाता है विजय दिवस
विजय दिवस 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत की स्मृति में मनाया जाता है। इसे बांग्लादेश मुक्ति युद्ध भी कहा जाता है। आज का बांग्लादेश उस समय पाकिस्तान का हिस्सा था और इसे पूर्वी पाकिस्तान के रूप में जाना जाता था। 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद बांग्लादेश के दुनिया के मानचित्र पर एक स्वतंत्र देश के रूप में अस्तित्व में आया। 16 दिसंबर, 1971 को लगभग 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना और ‘मुक्ति वाहिनी’ के संयुक्त बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था, जिससे बांग्लादेश के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ था।