Defence Ministry ने 24 अक्टूबर को भारतीय तटरक्षक बल(Indian Coast Guard) के लिए 6 एयर कुशन वाहनों के अधिग्रहण का एक समझौता(An agreement for the acquisition of 6 air cushion vehicles) चौगुले एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड(Chowgule & Company Private Limited) के साथ किया है। इन उभयचर जहाजों को ‘होवरक्राफ्ट'(Hovercraft) भी कहा जाता है, जिनका निर्माण पहली बार आत्मनिर्भर पहल(Atmanirbhar Initiative) के तहत भारत में स्वदेशी रूप से किया जाएगा। जहाज निर्माण उद्योग में भारत की बढ़ती क्षमता(India’s growing capability) के लिहाज से इसे महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि इन होवरक्राफ्ट की आपूर्ति 33 महीनों में की जानी है।
रोजगार के लिए खुलेगा नया रास्ता
रक्षा मंत्रालय और चौगुले एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के बीच यह अनुबंध तकनीकी उत्कृष्टता और औद्योगिक कौशल के केंद्र के रूप वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत करता है, जिससे रोजगार के लिए नया रास्ता भी खुलेगा। यह समझौता स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं, तकनीकी विशेषज्ञता और समुद्री आर्थिक गतिविधि बढ़ाने के साथ-साथ सहायक उद्योगों, विशेष रूप से एमएसएमई क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। इस परियोजना को उभयचर जहाजों के रखरखाव के लिए मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र के विकास और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इनके अधिग्रहण का उद्देश्य तटरक्षक बल की क्षमता को बढ़ावा देना और समुद्री सुरक्षा के प्रति भारत सरकार के बढ़ते फोकस को मजबूत करना है।
स्वदेशी उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित करना उद्देश्य
इस पहल का उद्देश्य स्वदेशी सहायक उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित करना है, जिससे देश की आत्मनिर्भरता और बढ़ेगी। इस प्रयास के माध्यम से समुद्री क्षेत्र में दीर्घकालिक प्रगति के लिए एक आधार तैयार किया जाएगा, जिससे नवाचार और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। इन आधुनिक एयर कुशन वाहनों का उपयोग बहुउद्देशीय समुद्री भूमिकाओं के लिए दिन एवं रात में किया जाएगा, जिसमें उच्च गति तटीय गश्त और टोही, दलदली क्षेत्रों, गहरे समुद्र और अवरोधन सहित बहुउद्देशीय समुद्री भूमिकाएं हैं। साथ ही संकट में जहाजों, शिल्पों और एसीवी को सहायता देना भी शामिल है।
कई उच्च तकनीक उन्नत सुविधाओं और उपकरणों के साथ ये एयर कुशन वाहन उथले पानी में भी कर्मियों, स्टोर और रसद ले जाने में सक्षम होंगे, जिससे तटरक्षक बल को नए युग की बहुआयामी चुनौतियों का सामना करने की क्षमता मिलेगी।
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