अपने भूभाग का पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र इस्लामी देश के गठन के लिए देने के बाद भी भारत को पाकिस्तान से शांति नहीं मिली। 15 अगस्त 1947 के ठीक दो महीने बारह दिन बाद कबाइली और उनके भेष में छिपे पाकिस्तानी सैनिकों ने कश्मीर पर हमला कर दिया। जिसमें भारत की पैदल सेना ने कमान संभाली और बड़े भूभाग को बचा लिया। 75 वर्ष पहले का वह वीरता दिवस भारतीय थल सेना के इन्फ्रैन्टी डिवीजन के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
भारतीय थल सेना के इन्फैन्ट्री डिवीजन की कीर्ति हर युद्ध में सबसे महत्वपूर्ण रही है, जमीनी सीमा पर दुश्मनों से सीधी टक्कर लेनेवाले इस डिवीजन के योद्धा होते हैं। अतंरराष्ट्रीय शांति मिशन में भी इस डिवीजन ने अपनी सफलता का परचम लहराया है। इसलिए 27 अक्टूबर को प्रति वर्ष राष्ट्र इन्फैन्ट्री डिवीजन के योद्धाओं के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करता है।
On the occasion of 76th #InfantryDay, Gen Anil Chauhan #CDS, Lt Gen BS Raju #VCOAS, Director General Infantry, Colonel of the Regiments, Senior Officers & Veterans of #Infantry laid wreaths at #NWM to honour the #Bravehearts who made supreme sacrifice for the Nation.#IndianArmy pic.twitter.com/p4kAvNGEpk
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) October 27, 2022
जो लौट के फिर ना आए….
76वें स्थापना दिवस पर चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ अनिल चौहान, लेफ्टिनेन्ट जनरल बी.एस राजू के साथ सैन्य अधिकारियों और कर्मचारियों ने इन्फैन्ट्री डिवीजन के उन वीरों को आदरांजलि अर्पित की जिन्होंने युद्ध भूमि में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
कश्मीर पर लुटेरी नजर
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत अर्थव्यवस्था को सुधारने और पाकिस्तान से स्थानांतरित हुए हिंदुओं को सहायता देने के प्रयत्न में था। परंतु, उस कठिन काल में भी पाकिस्तान बेइमानी पर तुला हुआ था। 22 अक्टूबर, 1947 को पांच हजार कबाइलियों ने कश्मीर पर धावा बोल दिया। इन कबाइलियों के भेष में पाकिस्तानी सेना भी थी। उन्हें हथियार और युद्ध मार्गदर्शन पाकिस्तानी सेना का ही था। कबाइलियों ने कश्मीर में लूट, महिलाओं की बेइज्जती और नागरिकों से ज्यादतियां प्रारंभ कर दी। सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार कबाइलियों के हमले के पीछे बैठी पाकिस्तानी सेना ने एक अनुबंध किया था। जिसमें धन और महिलाओं की लूट कबाइलियों को मिलनी थी, जबकि पाकिस्तानी सेना का लक्ष्य कश्मीर का भूभाग था।
पाकिस्तान की टूटी कमर
कबाइलियों के हमले से कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह बुरी तरह प्रभावित हुए। उन्हें राज्य छिनता हुआ दिखने लगा था। उस समय उन्होंने भारत से सहायता मांगी, उन्होंने भारत से विलय का समझौता किया और भारतीय सेना ने कश्मीर को अपने कब्जे में ले लिया। भारतीय सेना के इन्फैन्ट्री डिवीजन की वीरता और साहस के सामने कबाइली भाग खड़े हुए। पाकिस्तानी सेना के जवान भी पीछे लौटने लगे, जो लौट नहीं पाए उन्हें भारतीय सेना ने धूल में मिला दिया और पाकिस्तान की कमर इस युद्ध में टूट गई।