इन दिनों दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार विवादों में है। अयोध्या, काशी, मथुरा और ताजमहल के बाद अब कुतुब मीनार को लेकर विवाद बढ़ता दिख रहा है। हिंदू संगठन के नेताओं ने यहां हनुमान चालीसा पाठ करने की घोषणा की थी, हालांकि उन्हें इससे पहले ही हिरासत मे ले लिया गया। हिंदू संगठनों की मांग है कि इसका नाम बदलकर विष्णु स्तंभ रख देना चाहिए।
ये है इतिहास
-दरअस्ल भारत की सबसे ऊंची यह मीनार दिल्ली के महरौली में स्थित है। इसके पास ही छतरपुर मंदिर भी स्थित है। मीनार को विश्व धरोहर माना जाता है और इसका निर्माण तीन मुस्लिम शासकों ने अलग-अलग काल में कराया। इसके निर्माण कार्य की शुरुआत 1193 ई. में हुआ। ऐसा कहा जाता है कि दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसका निर्माण शुरू कराया था। कुतुबुद्दीन ने मीनार की नींव रखी और केलव आधार और पहली मंजिल का निर्माण करवा पाया।
-कुतुबुद्दीन के बाद उसका उत्तराधिकारी और पोते इल्तुतमिश ने मीनार की तीन और मंजिलों का निर्माण कराया। वर्ष 1368 ई. में मीनार की पांचवीं और अंतिम मंजिल का निर्माण फिरोज शाह तुगलक ने कराया।
-यह भी कहा जाता है कि बाद में लोदी वंश के दूसरे शासक सिकंदर लोदी ने इसकी मरम्मत कराई। इसके निर्माण के लिए लाल बलुआ पत्थर और मार्बल का इस्तेमाल किया गया है। इसमें कुल 397 सीढ़ियां बनाई गई हैं।
क्यों है विवाद?
मीनार की दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और मंदिर में वास्तुकला मौजूद है। मीनार के अंदर इन्हें स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मीनार में भगवान गणेश और विष्णु की कई मूर्तियां भी स्थापित हैं। उसके प्रवेश द्वार पर निर्मित शिलालेख के बारे में कहा जाता है कि इसमें इस्तेमाल किया गया खंभा और अन्य वस्तुएं 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर प्राप्त की गई थी।
हिंदू संगठन का दावा
राज्यसभा के पूर्व सांसद और भारतीय जनता पार्टी के नेता तरुण विजय ने ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी एएसआईए को पत्र लिखा था। उन्होंने पत्र में मीनार के परिसर में भगवान गणेश की उल्टी प्रतिमा लगाने और एक स्थान पर उनकी प्रतिमा को पिंजरे में बंद होने का दावा किया था। उन्होंने लिखा था कि इस तरह से हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया जा रहा है। भाजपा नेता ने इन प्रतिमाओं को राष्ट्रीय संग्राहलय में रखवाने का अनुरोध किया था।
याचिका दायर की गई थी ये मांग
इससे पहले दिल्ली के एक न्यायालय में याचिका दायर कर मांग की गई थी, कि जिन 27 मंदिरों को ध्वस्त कर इस मीनार का निर्माण कराया गया है, उनक जीर्णोद्धार कराया जाना चाहिए। इस याचिका को खारिज करते हुए न्यायाधीश नेहा शर्मा ने कहा था, “हम मानते हैं कि अतीत में कई गलतियां हुई हैं, लेकिन इस तरह की गलतियों में सुधार से वर्तमान और भविष्य में शांतिभंग हो सकता है।”
हिंदू संगठन की मांग
हिंदू संगठनों की मांग है कि यहां की स्थिति को देखते इसक नाम बदलकर विष्णु स्तंभ किया जाए। यहां हिंदू और जैन समुदया के लोगों को पूजा करने का अधिकार मिलना चाहिए। उनका यह भी दावा है कि 2004 से पहले यहां
इन मूर्तियों की पूजा होती थी।