Agniveer गावटे की सम्मान निधि पर भ्रम को सेना ने किया दूर, जानें कितनी मिलेगी सम्मान राशि

सोशल मीडिया पर अनजान लोग ही नहीं बल्कि राहुल गांधी सरीखे नेता भी ट्वीट कर यह प्रचारित करने में लगे थे कि सेना अग्निवीर योजना में भर्ती होने वाले सैनिकों के साथ भेदभाव कर रही है और उन्हें उचित सम्मान और देय नहीं मिल रहा है।

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भारतीय सेना में ऑपरेटर के तौर पर तैनात अग्निवीर (Agniveer) गावटे अक्षय लक्ष्मण के बलिदान के मामले में सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे भ्रम को देखते हुए एक स्पष्ट बयान जारी किया है। इसमें भारतीय सेना की ओर से कहा गया है, ‘अग्निवीर (ऑपरेटर) गावटे अक्षय लक्ष्मण सियाचिन में कर्तव्य निभाते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। दुख की इस घड़ी में भारतीय सेना शोक संतप्त परिवार के साथ मजबूती से खड़ी है। मृतक के परिजनों को वित्तीय सहायता के संबंध में सोशल मीडिया पर परस्पर विरोधी संदेशों को देखते हुए, यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि परिजनों को मिलने वाली परिलब्धियां सैनिक की सेवा के प्रासंगिक नियमों और शर्तों द्वारा शासित होती हैं।’

शर्तों के अनुसार दी जाएगी सहायता राशि
सेना ने गावटे के बलिदान के मद्देनजर स्पष्ट किया, कि  ‘अग्निवीरों की नियुक्ति की शर्तों के अनुसार, मृत युद्ध हताहत के लिए अधिकृत परिलब्धियों में शामिल होंगे- एक गैर-अंशदायी बीमा राशि, जो कि 48 लाख रुपये है। सेवा निधि में अग्निवीर (30%) का योगदान, सरकार द्वारा समान योगदान और उस पर ब्याज के साथ। कुल मिलाकर 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि। मृत्यु की तारीख से चार साल पूरे होने तक शेष कार्यकाल का भुगतान (गावटे के विषय में 13 लाख रुपये से अधिक)। सशस्त्र बल युद्ध हताहत कोष से 8 लाख रुपये का योगदान। साथ ही आवा (आर्मी वुमन वेलफेयर एसोशिएसन) की ओर से 30 हजार रुपये की तत्काल वित्तीय सहायता (financial help) दी जाएगी।

सोशल मीडिया में फैलाया जा रहा था भ्रम
सेना ने इससे पहले आत्महत्या करने वाले पंजाब के अमृतपाल के मामले की तरह ही सोशल मीडिया पर गावटे के बलिदान पर भी भ्रम फैलाए जाने की कोशिश को देखते हुए बयान जारी कर सारी स्थिति स्पष्ट कर दी। बड़ी बात यह कि सोशल मीडिया पर अनजान लोग ही नहीं बल्कि राहुल गांधी सरीखे नेता भी ट्वीट कर यह प्रचारित करने में लगे थे कि सेना अग्निवीर योजना में भर्ती होने वाले सैनिकों के साथ भेदभाव कर रही है और उन्हें उचित सम्मान और देय नहीं मिल रहा है। भारतीय सेना ने अधिकृत बयान जारी कर इस दुष्प्रचार पर स्थिति साफ कर दी है और यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सेना में भर्ती किसी भी रूप में हुई हो, बलिदान होने पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता।

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