अहमदनगर पुलिस के मॉक ड्रिल के पीछे… ये है राज

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जिले के शेंडी गांव में राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा है, जिसमें लुटेरों के घुसने की सूचना पुलिस को मिली। इसके दस मिनटों में पुलिस वहां पहुंच गई थी, पुलिस ने तत्काल गांव के लोगों को भी इसकी जानकारी दी। इसके बाद बड़ी कसरत के बाद हथियारबंद तीन लुटेरों को पुलिस ने गांव वालों के सहयोग से गिरफ्तार कर लिया। और सभी ने राहत की सांस ली, तब पता चला कि जिन लुटेरों को उन्होंने पकड़ा है वे फर्जी हैं और पूरी कार्रवाई मॉक ड्रिल है।

इस मॉक ड्रिल की तह तक जब पहुंचा गया तो पता चला कि, अहमदनगर जिला पुलिस द्वारा मॉक ड्रिल किया जाना एक विश्वास निर्माण का प्रयत्न है। जिसके पीछे है 17 जनवरी 2001 की रात पाथर्डी तहसील के कोठेवाडी में पड़ी डकैती और सामूहिक बलात्कार की घटना।

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21 साल बाद इतनी सतर्कता क्यों?
21 साल पहले घटे इस जघन्य अपराध में 13 अपराधियों पर मकोका लगाया गया था। जिसकी सुनवाई बॉम्बे उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ कर रही थी। इस प्रकरण में 3 अगस्त 2021 को निर्णय आया। जिसके अंतर्गत इस प्रकरण के अपराधियों को मकोका के आरोपों से बरी कर दिया गया। इससे 21 वर्ष पहले घटित जघन्य अपराध की याद फिर एक बार कोठेवाडी के लोगों में ताजा हो गई। जिसे देखते हुए विश्वास निर्माण का प्रयत्न पुलिस कर रही है। इसके अंतर्गत पाथर्डी तहसील में पुलिस मॉक ड्रिल कर रही है, जिसमें सूचना देना, कार्रवाई में मदद करना आदि क्रिया कलाप सम्मिलित हैं।

धन और धर्म दोनों ही लूट लिया
वह 17 जनवरी, 2001 की रात थी, जब पाथर्डी तहसील के कोठेवाडी में एक डकैती पड़ी थी। इसमें हथियार बंद 13 लुटेरों ने महिलाओं से सामूहिक बलात्कार किया, घर के सारे कपड़े जला दिये और 44 हजार रुपए के आभूषण भी लूट लिये। वृद्ध महिलाओं को भी लुटेरों ने नहीं छोड़ा था।

क्रूरता की सभी सीमाएं पार करनेवाली इस घटना को न्यायालय में प्रस्तुत किया था विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने। जिला व सत्र न्यायाधीश ज्योती फणसालकर जोशी ने प्रकरण में सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद भी कानूनी प्रक्रिया चलती रही जिसमें दोषियों के विरुद्ध मकोका के अंतर्गत सजा देने का अभियोग चला। इसमें मकोका कानून की धारा 3(1)(2) के अंतर्गत सभी 13 दोषियों को 12 वर्ष का सख्त कारावास और पांच लाख रुपए का दंड और मकोका कानून की धारा 3(4) के अंतर्गत 10 वर्ष का सख्त कारावास और पांच लाख रुपए का दंड लगाया गया। इसे दोषियों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। जिस पर 3 अगस्त 2021 को निर्णय आया जिसमें मकोका के अंतर्गत सजा को रद्द कर दिया गया।

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