देश में कोरोना संक्रमणों के बीच हमारे देश की सरहदों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जरुरी है, क्योंकि चीन जैसे चालबाज देश हमारी सेना और जवानों की जरा-सी लापरवाही का फायदा उठा सकते हैं। इसलिए थल सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे ने 27 अप्रैल को पूर्वी लद्दाख का दौरा किया। वे सियाचिन भी गए और इस पूरे क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति का जायजा लिया।
जवानों का हौसला बढ़ाया
जनरल नरवणे ने इस दुर्गम क्षेत्र में तैनात सेना के जवानों से मुलाकात की और इस विषम परिस्थिति में देश की सीमाओं की रक्षा में तैनात जवानों का हौसला बढ़ाया। इस दौरान थल सेना अध्यक्ष को सेना के 14 कोर कमांडर ने सुरक्षा के हालात और सेना की तैयारियों के बारे में जानकारी दी। जनरल नरवणे 28 अप्रैल को वापस दिल्ली लौटेंगे।
Army chief Gen MM Naravane visited Siachen & Eastern Ladakh & reviewed operational preparedness. He also interacted with troops & complimented them for their steadfastness & high morale, while being deployed in some of harshest terrain, altitude & weather conditions: Indian Army pic.twitter.com/WTAxa9ykWD
— ANI (@ANI) April 27, 2021
जून 2020 से तनाव
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा(एलएसी) के पास भारत और चीन की सेना के बीच जून 2020 से ही तनाव चल रहा है। 14 जून को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग लेक के पास दोनों देशों की सेना के जवानों में हिंसक झड़प हो गई थी। उसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार है। हालांकि विवाद वाली जगह पैंगोंग लेक के पास से दोनों देशों ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली है, लेकिन अपनी हरकतों से चीन भारत को सतर्क रहने पर मजबूर करते रहता है।
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11 दौर की सैन्य वार्ता पूरी
हाल ही में दोनों देशों के बीच 11वें दौर की सैन्य वार्ता हुई है, जो 13 घंटे चली थी। इससे पहले चीन हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग में पीछे हटने को तैयार था, लेकिन इस वार्ता में वह इससे मुकर गया। जानकार इसे चीन की बड़ी चाल बता रहे हैं। उनका मानना है कि चीन अब चाहता है कि भारत एलएसी के पास पेट्रोलिंग पॉइंट 15 और 17 पर नई स्थिति को स्वीकार करे। चीन इन इलाकों में अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति बरकार रखने से भी इनकार कर रहा है।