भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कर्नाटक के बेंगलुरु में एयरो इंडिया के पहले दिन 13 फरवरी को स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीए) में उड़ान भरी। उन्होंने अपनी इस उड़ान को बहुत ही संतोषजनक और सार्थक अनुभव वाली बताते हुए उम्मीद जताई कि अगले 8-10 वर्षों में हम अपने स्वदेशी हथियारों के साथ भविष्य के युद्ध लड़ने में सक्षम होंगे। जनरल पांडे एलसीए की विशेष रूप से युद्धाभ्यास और क्षमताओं की विशेषताओं से काफी प्रभावित दिखे।
बेंगलुरु के येलहंका एयरबेस स्थित एयरफोर्स स्टेशन में एयरो इंडिया के 14वें संस्करण का उद्घाटन होने के बाद भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि मैं एलसीए की विशेष रूप से युद्धाभ्यास, पैंतरेबाजी और क्षमताओं की विशेषताओं से काफी प्रभावित था, क्योंकि यह हेलीकॉप्टर उन सभी सुविधाओं से लैस है, जो सेना के लड़ाकू हेलीकॉप्टर में होनी चाहिए। उन्होंने अपनी इस उड़ान को बहुत ही संतोषजनक और सार्थक अनुभव वाली बताया। जनरल पांडे ने कहा कि नागरिक सुरक्षा उद्योग में जिस तरह का पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हो रहा है, उससे मुझे यकीन है कि अगले 8-10 वर्षों में हम अपने स्वदेशी समाधानों के साथ भविष्य के युद्ध लड़ने में सक्षम होंगे।
बेहतर सुरक्षा की तैयारी
सेना प्रमुख ने कहा कि हम ‘मेक इन इंडिया’ या ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के माध्यम से अपनी सैन्य क्षमताओं की एक विस्तृत श्रृंखला को देख रहे हैं। अगर हम इन्फैंट्री के साथ शुरुआत करें, तो शुरू में एक इन्फैंट्री सैनिक बनाने या सुरक्षा के मामले में युद्ध के मैदान पर अपने कार्य को पूरा करने के लिए उसे सशक्त बनाने, स्थितिजन्य जागरुकता बढ़ाने, उसे बेहतर निगरानी क्षमता देने, रात में लड़ने की क्षमता देने पर विचार किया जा रहा है। यदि आप टैंकों के कवच को देखते हैं, तो हम भविष्य के लिए तैयार टैंक को देख रहे हैं, जिसे हम बेहतर सुरक्षा के लिए रात में भी संचालन के सक्षम बनाना चाहते हैं।
क्षमता में सुधार
सेना प्रमुख ने कहा कि आर्टिलरी के मामले में हम एक माउंटेड गन से शुरू होने वाली क्षमता की एक सीमा देख रहे हैं, सटीकता में सुधार कर रहे हैं, बहुत लंबी दूरी पर लक्ष्य को भेदने में सुधार कर रहे हैं। साथ ही अपने आर्टिलरी को एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर में रणनीतिक रूप से उठाने की हमारी क्षमता को भी देख रहे हैं। भारतीय सेना प्रमुख ने हथियारों के स्वदेशीकरण को लेकर कहा कि इसका कार्य प्रगति पर है, इसके लिए समय सीमा निश्चित करना मुश्किल है लेकिन हमारा रक्षा उद्योग ईको सिस्टम विकसित कर रहा है।