मणिपुर में 4 हजार लोगों का स्थानांतरण, सेना ने संभाला मोर्चा: जानिये कारण

पूर्वोत्तर के सेवेन सिस्टर्स में से एक मणिपुर में हिंसा भड़क गई थी। मणिपुर हिंसा को देखते हुए सुरक्षा बलों ने चौकसी बढ़ा दी है।

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मणिपुर हिंसा
मणिपुर में आनुसूचित जनजाति के आंदोलन में भड़की हिंसा के बाद सेना को बुलाया गया

मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) की परिस्थितियों से उबारने के लिए सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। रक्षा मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार मणिपुर में सेना और अर्ध सैनिक बलों की तैनाती की गई है। यह निर्णय आदिवासी समाज के आंदोलन में भड़की हिंसा के बाद लिया गया है। रक्षा मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार मणिपुर हिंसा से अब तक 4,000 लोगों को सुरक्षा बलों ने हिंसा प्रभावित इलाकों से बचाया है और आश्रय दिया है। उन्होंने कहा कि और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

सुरक्षा बलों का फ्लैग मार्च
प्रवक्ता ने बताया कि, मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) को देखते हुए रात में सेना और असम राइफल्स की मांग की गई थी और राज्य पुलिस के साथ बलों ने सुबह तक हिंसा को काबू में कर लिया। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए फ्लैग मार्च किया जा रहा है।

मणिपुर हिंसा ऐसे भड़की
इंफाल घाटी में वर्चस्व रखने वाले गैर-आदिवासी मीटियों की अनुसूचित जनजाति (एसटी) की मांग के विरोध में चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान बुधवार को हिंसा भड़क गई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि रैली में हजारों आंदोलनकारियों ने हिस्सा लिया, जिसके दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच झड़पें हुईं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई राउंड आंसू गैस के गोले छोड़े। उत्तेजित युवकों को इंफाल पश्चिम जिले के कांचीपुर और घाटी में पूर्वी इंफाल के सोइबाम लेकाई में प्रतिशोध की मांग करते हुए इकट्ठा होते देखा गया।

लगा कर्फ्यू
स्थिति को देखते हुए, गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम और बिष्णुपुर जिलों और आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया।

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