चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के ऊंचाई वाले सीमावर्ती क्षेत्रों में भारतीय सेना 200 माउंटेड हॉवित्जर और 400 टोड गन सिस्टम के साथ मारक क्षमता बढ़ाएगी। इसके लिए जल्द ही 105 मिमी. तोपों से लैस 200 माउंटेड हॉवित्जर तोपें खरीदने की तैयारी है। इस ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के लिए भारतीय कंपनियों को जल्द ही एक टेंडर जारी किया जाएगा। इसके साथ ही 400 टोड आर्टिलरी गन सिस्टम की खरीद को भी जल्द ही सरकार से मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
सैन्य सूत्रों के अनुसार यह पहली बार होगा कि भारतीय तोपखाने के पास इस प्रकार की 105 मिमी माउंटेड हॉवित्जर तोपें होंगी। भारतीय सेना को 200 माउंटेड हॉवित्जर तोपें मिलने के बाद अग्रिम मोर्चे पर तैनात संरचनाओं की ताकत में इजाफा होगा। भारतीय सेना स्वदेशी कंपनियों के माध्यम से अपने तोपखाने का आधुनिकीकरण कर रही है, क्योंकि भारतीय उद्योग ने इस क्षेत्र में क्षमताएं विकसित की हैं और अब इन प्रणालियों को विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है। इसके साथ ही 30 नवंबर को होने वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में ‘मेक इन इंडिया’ रूट के तहत 400 टोड आर्टिलरी गन सिस्टम की खरीद को मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
भारतीय कंपनियों की क्षमताओं का उपयोग करके भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट 155 मिमी/52 कैलिबर टोड गन खरीद रही है।भारतीय सेना ने पहले ही 307 एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) खरीदने के साथ-साथ चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर अपनी आवश्यकताओं के लिए माउंटेड गन सिस्टम खोजने के लिए एक टेंडर जारी कर दिया है। भारतीय सेना चाहती है कि पुरानी बोफोर्स तोपों की तरह तोपें वजन में हल्की हों, जिन्हें ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात करना आसान हो।
भारतीय सेना ने पिछले दशक में 155 मिमी. हॉवित्जर खरीदने के लिए चार अनुबंध किये हैं। इन गन प्रणालियों को पहले ही शामिल किया जा चुका है और इससे अधिक रेजिमेंटों को इन तोपों से लैस किया जा रहा है। इन बंदूक प्रणालियों में धनुष, सारंग, अल्ट्रा लाइट होवित्जर (यूएलएच) और के-9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड गन शामिल हैं। धनुष तोपें बोफोर्स तोपों का इलेक्ट्रॉनिक अपग्रेड हैं, जबकि सारंग तोपों को 130 मिमी से 155 मिमी कैलिबर तक उन्नत किया गया है।
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