नागपुर में कोरोना महामारी के उद्रेक को लेकर बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ से बहुत महत्वपूर्ण निर्णय आया है। इस निर्णय से मिलनेवाली राहत सैकड़ो संक्रमितों के लिए जीवन की आशा हैं। सुओ मोटो संज्ञान के अतंर्गत जिले में कोरोना की दवा और ऑक्सीजन को लेकर प्रशासन की तैयारी पर न्यायालय में सुनवाई हो रही थी।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एसबी शुकरे और एसएम मोडक ने अपनी सुनवाई में यह पाया कि नागपुर के आसपास कोरोना की संजीवनी मानी जा रही रेमडेसवीर इंजेक्शन नामक औषधि के वितरण में भेदभाव है। इस औषधि की आवश्यकता के अनुसार आपूर्ति नहीं हो रही है। इसे देखते हुए न्यायाधीशों ने महत्वपूर्ण आदेश दिये।
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- सोमवार रात 8 बजे तक नागपुर प्रशासन को 10,000 रेमडेसवीर इंजेक्शन प्रदान किये जाएं।
- इसके अलावा ऑक्सीजन की कमी को लेकर पीठ ने नागपुर जिला प्रशासन को तत्काल आदेश दिया कि जो अस्पताल अपना ऑक्सीजन प्लांट लगाना चाहते हैं उन्हें अनुमति दी जाए।
- कोरोना ग्रसितों को भोजन के लिए न्यायालय ने कहा कि वह एक अतिआवश्यक सेवा है। इसलिए भोजन निर्माणकर्ता समूहों द्वारा घर पहुंच सेवा रात 8 बजे बाद भी शुरू रखी जाए, जो शॉप्स एंड इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के अनुरूप हो।
- न्यायालय ने नागपुर के जिलाधिकारी और मनपा आयुक्त को आदेश दिया है कि कोविड 19 रुग्णालयों के बाहर भर्ती होने के लिए गए संक्रमितों के लिए अस्थाई स्वास्थ्य सुविधा केंद्र खड़ा करें, जहां पानी आदि की सुविधा हो जिससे प्रतीक्षा कर रहे संक्रमितों का स्वास्थ्य अधिक न बिगड़े। इसमें आईसीएमआर के नियमों का पालन किया जाए।
- नौकरी पर न लौटनेवाले डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। न्यायालय ने कहा कि ऐसे कर्मियों को समझाना पड़ेगा कि वे यदि अपनी सेवाओं को प्रदान करने में फेल होते हैं तो उन पर कार्रवाई हो सकती है। इस कार्रवाई के अंतर्गत न्यायालय को तनिक भी हिचक नहीं होगी ऐसे कर्मचारियों की गिरफ्तारी का आदेश देने में।
- न्यायालय ने अपनी जांच में पाया है कि स्थितियां खराब हैं। ऐसी स्थिति में कानून व्यवस्था को लेकर संकट उत्पन्न हो सकता है। इसके लिए पुलिस प्रशासन को अस्पताल, ऑक्सीजन, दवा सप्लाई केंद्र की सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। न्यायालय ने इसके लिए नागपुर पुलिस आयुक्त को उचित सुरक्षा उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।