भारत ने सुपरसोनिक मिसाइल ब्रम्होस के नौसेना संस्करण का सफल परीक्षण किया गया। यह परीक्षण विशाखापत्तनम के समुद्र में स्टेल्थ डिस्ट्रॉयर से किया गया। जो तय मानकों पर खरा रहा। इस मिसाइल को आईएनएस विशाखापत्तनम से प्रक्षेपित किया गया।
ब्रम्होस का विकास
इस क्रूज मिसाइल का विकास ब्रम्होस कॉर्पोरेशन द्वारा किया गया है। इसमें भारतीय रक्षा विकास संगठन (डीआरडीओ) और रुसी कंपनी एपीओ मशीनोस्त्रोयेनिशिया का समावेश है। ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। रूस इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध करवा रहा है और उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करने की क्षमता भारत के द्वारा विकसित की गई है।
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India successfully test-fires a naval variant of the advanced supersonic #BrahMos cruise missile from a stealth guided-missile destroyer, INS Visakhapatnam of the Indian Navy. pic.twitter.com/gZo8iPeRHP
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) February 18, 2022
ब्रम्होस की विशेषता
मिसाइल तकनीकी ब्रम्होस का विश्व में कोई तोड़ नहीं है। इसकी खूबियाँ इसे दुनिया की सबसे तेज मारक मिसाइल बनाती है। यहाँ तक की अमेरिका की टॉम हॉक मिसाइल भी इसके आगे फीकी साबित होती है। इस मिसाइल को दिन अथवा रात तथा हर मौसम में दागा जा सकता है। इसकी मारक क्षमता अचूक होती है। रैमजेट इंजन की मदद से मिसाइल की क्षमता तीन गुना तक बढ़ाई जा सकती है। अगर किसी मिसाइल की क्षमता 100 किमी दूरी तक है तो उसे रैमजेट इंजन की मदद से 320 किमी तक किया जा सकता है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल ध्वनि के वेग से करीब तीन गुना अधिक 2.8 मैक गति से लक्ष्य पर प्रहार करती है।