तमिलनाडु के कुन्नूर में सेना के हेलीकॉप्टर हादसे में घायल लोगों में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी शामिल हैं। एमआई-17-वी-5 सीरीज के इस हेलीकॉप्टर में हादसे के समय कुल 14 लोग सवार थे। इनमें सीडीएस रावत के परिवार के सदस्यों के साथ ही सेना के कुछ उच्चाधिकारी भी शामिल थे। सीडीएस रावत को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। उन्हें सुरक्षित बताया जा रहा है। हादसे की जांच का आदेश दिया गया है।
आइए, जानते हैं, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत के बारे मेंः
जन्म और परिवार
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के प्रमुख बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के गढ़वावल जिले के पौड़ी में राजपूत परिवार में हुआ। इनके पूर्वज मायापुर-हरिद्वार में रहते थे। रावत एक मिलिट्री टाइटल है, जो राजपूतों को गढ़वाल के शासकों द्वारा दिया गया है। सीडीएस रावत के पिता 1988 में लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवामुक्त हुए थे। उनका जन्म 16 मार्च 1958 को हुआ था।
शिक्षा
-बिपिन रावत ने देहरादून, कैंबरीन हॉल स्कूल, शिमला- सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से शिक्षा प्राप्त की। यहां उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
-वे फोर्ट लीवनवर्थ, यूएसए में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और हायर कमांड कोर्स से स्नातक भी हैं।
-उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से डिफेंस स्टडीज में डिप्लोमा प्राप्त किया है।
-2011 में उन्हें सैन्य-मीडिया सामरिक अध्ययनों पर अनुसंधान के लिए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से डॉक्टरेट ऑफ फिलॉस्फी सम्मानित किया गया।
सैन्य सेवा
* सेना में पहली भर्ती जनवरी 1979 में मिजोरम में हुई।
* नेफा क्षेत्र में तैनात रहते हुए बटालियन का नेतृत्व किया।
* कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का नेतृत्व भी किया।
* 01 सितंबर 2016 को थल सेनाध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया।
* वे 31 दिसंबर 2016 को थल सेनाध्यक्ष के पद पर तैनात किए गए।
* सेनाध्यक्ष से रिटायर होने के बाद जनरल बिपिन रावत को 2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया गया।
* उन्होंने दिसंबर 2019 तक सेना की नौकरी की।
*सेना से सेवानिवृत्ति के एक दिन पहले ही सरकार ने उन्हें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाने की घोषणा की।
*1 जनवरी 2020 को पदभार ग्रहण किया। जनरल रावत को देश के पहले सीडीएस होने का गौरव प्राप्त है।
*जनरल रावत ने 1999 में पाकिस्तान के साथ करगिल युद्ध में हिस्सा लिया था। इस युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार और भारत की जीत हुई थी।
इसलिए सीडीएस की पड़ी जरुरत
सरकार ने 2001 में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में करगिल युद्ध की समीक्षा के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का गठन किया था। इस जीओएम ने करगिल युद्ध के दौरान सेना और वायुसेना के बीच सामंजस्य की कमी का पता लगाया था। इसी समूह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किए जाने की सिफारिश की थी। इसका उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच तालमेल स्थापित करना था।
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अन्य उपलब्धियां
- जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में सेना ने सीमा पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया था।
- मणिपुर में हुए आतंकी हमले में 18 सैनिक हुतात्मा हो गए थे। इसके जवाब में सेना के कमांडो ने म्यांमार में दाखिल होकर हमला किया था। इस हमले में एनएससीएन के कई आतंकी मार गिराए गए थे। उस समय रावत थर्ड कॉर्प्स के कमांडर थे। यह अभियान इसी कॉर्प्स द्वारा चलाया गया था।