चीफ ऑफ डिफेंस(CDS) स्टाफ जनरल अनिल चौहान(Chief of Defense Staff General Anil Chauhan) ने भारत के ‘विजन 2047’(vision 2047) के अनुरूप रक्षा विनिर्माण और उत्पादन(Defense Manufacturing and Production) में आत्मनिर्भरता हासिल करने पर जोर(Emphasis on achieving self-reliance) दिया है। उन्होंने दो दिवसीय विचार-मंथन सत्र(Two day brainstorming session) के आखिरी दिन रक्षा क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा(Promote innovation in defense sector) देने की दिशा में सरकार, सेवाओं, अनुसंधान एवं विकास और रक्षा उत्पादन पारिस्थितिकी तंत्र के बीच प्रयासों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
विचार मंथन सत्र का समापन
सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स के सहयोग से मुख्यालय इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ की ओर से सैन्य मामलों के विभाग के तत्वावधान में आयोजित पहले दो दिवसीय विचार मंथन सत्र ‘स्वदेशीकरण को प्रोत्साहन’ का 5 मार्च को समापन हुआ। विचार मंथन के दौरान स्वदेशीकरण प्रक्रिया में तेजी लाने और भारतीय रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाने के उद्देश्य से नीतिगत सुधार के लिए बहुत ही उपयोगी परिणाम सामने आए। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने अपने संबोधन में रक्षा सुधारों में चल रही परिवर्तनकारी प्रक्रिया को रेखांकित किया।
इनकी रही विशेष भागीदारी
विचार मंथन सत्र में रक्षा मंत्रालय, डीएमए, सेवा मुख्यालय, भारतीय तट रक्षक, डीआरडीओ, रक्षा उत्पादन विभाग, डीजीक्यूए, शिक्षा, उद्योग भागीदारों और त्रि-सेवाओं की क्षेत्रीय इकाइयों के प्रमुख हितधारकों ने सक्रिय भागीदारी की। स्वदेशी प्रौद्योगिकियों और उत्पादों के विकास के लिए प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने, आयात पर हमारी निर्भरता को कम करने और सशस्त्र बलों की उच्च परिचालन तत्परता सुनिश्चित करने पर विचार मंथन का सत्र केंद्रित रहा। उद्घाटन सत्र के दौरान मुख्य भाषण में रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
निजी उद्योगों को किया आमंत्रित
पहले दिन के सत्र में रक्षा अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी, आईडीईएक्स, सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची (पीआईएल) और प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजनाओं को बढ़ाने, रक्षा विनिर्माण में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के तरीके पर चर्चा हुई। दूसरे दिन सेवाओं और आईसीजी ने भविष्य में अपनी एमआरओ आवश्यकताओं को सामने रखा और निजी उद्योग को उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।