चीन ने भारत को चेतावनी दी है। उसने कहा है कि अगर भारत ताइवान की आजादी को समर्थन देता है तो चीन भी नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम,मणिपुर,असम और नागालैंड में अलगाववादी ताकतों का समर्थन कर सकता है।इसके साथ ही चीन सिक्किम में भी विद्रोह को समर्थन कर सकता है।
भारत के साथ तनाव के बीच चीन ने अब देश में आंतरिक अलगाववाद को भड़काने की धमकी दे रहा है। चीन के प्रोपेगेंडा न्यूज पेपर ग्लोबल टाइम्स ने भारत को ताइवान कार्ड खेलने से बचने की हिदायत दी है। हालांकि हकीकत तो यह है कि वह पहले से भारत विरोधी पाकिस्तानी एजेंडे के साथ ही उत्तर पूर्व राज्यों में अलगाववादी और उग्रवादी संगठनों को हथियार और पैसे देता रहा है।
ताइवान के नेशनल डे पर विज्ञापन देने पर भड़का ड्रैगन
बीजिंग फॉरन स्टडीज यूनिवर्सिटी में अकेडमी ऑफ रिजनल एंड ग्लोबल गवर्नैंस के सीनियर रिसर्च फैलो लॉन्ग शिंगचुन ने ग्लबोल टाइम्स में लिखे लेख में कहा है कि भारत में कई मीडिया कंपनियों ने ताइवान के नेशनल डे का विज्ञापन दिखाया और एक टीवी चैनल ने ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू का साक्षात्करा दिखाया। इससे उन्हें अलगावदी स्वर के लिए मंच मिला। इससे चीन में इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि भारत ताइवान कार्ड खेल रहा है और भारत को इसका किस तरह से जवाब दिया जाना चाहिए।
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ताइवान और अलगाववादी की कैटेगरी एक ही
लॉन्ग शिंगचुन ने आगे लिखा है कि भारत की तरफ से वन चाइना को समर्थन देने और ताइवान की आजादी को सपोर्ट नहीं करने की वजह से ही चीन भारत में अलगाववादी ताकतों को समर्थन नहीं देता। उन्होंने ताइवान और अलगाववादी को एक ही कैटेगरी में रखते हुए लिखा है कि अगर भारत ताइवान कार्ड खेलता है तो उसे इस बात का पता होना चाहिए कि चीन भी अलगाववादी कार्ड खेल सकता है।
ढाई फ्रंट युद्ध की आलोचना
उन्होंने अपने लेख में लिखा है कि भारतीय सेना ने ढाई फ्रंट युद्ध की तैयारी की घोषणा की है। इसका मतलब चीन और पाकिस्तान तथा आंतरिक विद्रोह की ओर है। इसमें आंतरिक विद्रोह में अलगाववादी ताकतें और आतंकवादी शामिल हैं।
ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि भारत में कई राज्य देश की आजादी बाद जोड़े गए, लेकिन वहां के लोग अपने आपको भारतीय नहीं मानते। वे अपना अलग देश चाहते हैं और इसके लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। अखबार में असम यूनाइटेड फ्रंट का भी नाम लिया है। आगे लिखा गया है,”ये हथियारों से लैस अलगाववादी संगठन भारतीय सेना के अभियानों की वजह से कमजोर पड़ चुके हैं। लेकिन अभी भी सक्रिय हैं। बाहरी समर्थन के अभाव में वे आगे नहीं बढ़ रहे हैं। उन्हें अगर समर्थन मिलता है तो वे विद्रोह कर सकते हैं।”
अलगाववादी संगठनो द्वारा समर्थन मांगने का दावा
ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया है कि कई अलगाववादी संगठनों ने चीन से सपोर्ट मांगा है। लेकिन भारत की दोस्ती और कुटनीतिक सिद्धांतों के कारण चीन ने अभी तक उन्हें अपना समर्थन नहीं दिया है। चीन दूसरे देशों की अखंडता का सम्मान करता है। भारत और चीन के राजनयिक संबंधों का आधार एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता है। लेकिन भारत के कुछ मीडिया हाउस और थिंक टैंक्स चीन को जवाबी कार्रवाई के लिए उकसा रहे हैं। वे ऐसा कर आग से खेल रहे हैं। अगर उन्होंने ताइवान के उकसाना बंद नहीं किया तो भारत को इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा और उत्तर-पूर्व के कई राज्यों में अशांति तथा विद्रोह का सामना करना पड़ेगा।