अब चीन के पांव उलटे… पढ़ें कैसे?

लद्दाख के पैंगोंग त्सो लेक क्षेत्र में मई 2020 में चीन की सेना ने भारत के साथ हुए समझौते का उल्लंघन किया था। चीन का स्थान इस लेक के फिंगर 8 क्षेत्र में तय था। चीन की विस्तारवादी नीति को रोकने के लिए गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों ने चीन के सैनिकों को पीछे धकेला था। जिसमें संघर्ष भी हुआ था।

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पैंगोंग त्सो लेक क्षेत्र में डिस-एंगेजमेंट प्रक्रिया शुरू होने के समाचार हैं। यहां चीन ने अपने पांव उलटे करके फिंगर 8 की तरफ लौटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पिपल्स लिबरेशन आर्मी ने यहां पैंगोंग त्सो लेक के उत्तरी क्षेत्र में फिंगर 5 में बने अपने निर्माणों को उखाड़ना शुरू कर दिया है। लेकिन रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार चीन पर विश्वास तभी करना चाहिए जब वास्तविक रूप से ये धरातल पर दिखनी शुरू हो जाए।

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चीन की सेना का लद्दाख के गलवान घाटी में स्थित पैंगोंग त्सो लेक के फिंगर 4 से पीछे हटना शुरू हो गया है। इस स्थान से चीन ने अपने तंबू और अन्य सुरक्षा निर्माण हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके अंतर्गत वो जेट्टी भी शामिल है जिसका निर्माण मई 2020 के बाद किया गया था। इस विषय में भारत और चीन के मध्य समझौता होने की खबर है। सेना स्तर पर 9वें दौर की बातचीत के बाद ये परिणाम सामने आ रहे हैं।

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चीन की कथनी और करनी में अंतर

चीन जो कहता है, करता उसका उलटा है इसलिए जब तक ग्राउंड जीरो पर वास्तविक रूप से उसके पीछे हटने को न देख लें उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए। भारत और चीन के बीच जो समझौता हुआ है उसके अनुसार चीन फिंगर 8 पर जाएगा, जो समझौते के अनुसार उसका पूर्व का स्थान है। जबकि भारत फिंगर 3 पर है। इस प्रक्रिया को पूरा होने में दो से तीन सप्ताह का समय लगेगा।
ब्रिगेडियर (सेवा निवृत्त) हेमंत महाजन

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