आने वाले समय में दुनिया की सैन्य शक्तियों और सुपर पावर के रूप में भारत का नाम सबसे पहले गिना जाएगा। हमारी सरकार ने ‘आत्मनिर्भरता’ पर जोर देकर न केवल युद्ध कौशल में बढ़ोतरी के लिहाज से, बल्कि युद्ध के सामानों और हथियारों का भारत में ही निर्माण करने के लिहाज से भी अनेक कदम उठाए हैं। स्वदेशी उपकरणों के उपयोग से हमारे रक्षा बलों का आत्मविश्वास और मनोबल मजबूत होगा।
यह विश्वास रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 14 फरवरी को एयरो इंडिया के दूसरे दिन भारतीय वायु सेना की ओर से आयोजित एक सेमिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए जताया। उन्होंने उल्लेख किया कि भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण भारत अपने रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कदम उठा रहा है। केंद्र सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत करने के लिए रक्षा बलों को सर्वोत्तम उपकरण और मंच उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। राजनाथ सिंह ने कहा कि युद्ध की तैयारी के साथ-साथ सरकार ने रक्षा उत्पादन और तैयारियों में आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके परिणामस्वरूप भारत रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।
बाहरी निर्भरता को कम करने में मदद
राजनाथ सिंह ने कहा कि लंबे समय से भारत एयरक्राफ्ट से लेकर हेलीकॉप्टर, गन, मिसाइल, रडार सिस्टम आदि का आयात करता रहा है, लेकिन अब आकाश हथियार प्रणाली, एलसीए तेजस, लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान और हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ आदि देश में ही बनने लगे हैं। उन्होंने बताया कि भविष्य में सशस्त्र बलों के पास 160 प्रचंड हेलीकॉप्टर होंगे। इन कदमों से सशस्त्र बलों की बाहरी निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए स्वदेशी उपकरण और सिस्टम विकसित करने पर और ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
देशवासियों को दिलाया विश्वास
सिंह ने देशवासियों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि राष्ट्र की रक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसे सुनिश्चित करने के लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। आने वाले समय में जब भी दुनिया में सैन्य शक्ति और सुपर पावर की बात होगी, तो भारत का नाम सबसे पहले गिना जाएगा। रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि भारतीय वायुसेना न केवल सुरक्षा के क्षेत्र में, बल्कि आत्मनिर्भरता के मामले में भी नई ऊंचाइयों को छुएगी। उन्होंने सीरिया और तुर्किये में भूकंप के बाद राहत गतिविधियों के रूप में वायु सेना की भूमिका को सराहते हुए कहा कि यह प्रयास अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत के योगदान और दुनिया के प्रति भारत के कर्तव्य को दर्शाता है।
वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने किया ये आग्रह
इससे पहले, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग से आग्रह किया कि वे वायु सेना की क्षमता बढ़ाने के लिए नई तकनीकों को आत्मसात करें, अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करें और भविष्य की जरूरतें पूरी करने के लिए व्यावसायिक योजनाएं विकसित करें। उन्होंने यह भी बताया कि वायु सेना ने अब तक लगभग 65 हजार पुर्जों का सफलतापूर्वक स्वदेशीकरण किया है। इस मौके पर वायु सेना की इलेक्ट्रॉनिक रखरखाव प्रबंधन प्रणाली का भी शुभारंभ किया। वायुसेना के नवाचार और स्वदेशीकरण आवश्यकताओं के संग्रह और भारतीय वायुसेना के रखरखाव जर्नल को भी जारी किया गया।