मेक इन इंडिया के तहत डीआरडीओ और टाटा एडवांस डिफेंस सिस्टम लिमिटेड द्वारा निर्मित ड्रोन एएलएस-50 लॉइटरिंग म्यूनिशिन का सफल परीक्षण जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया।
सूत्रों के अनुसार गुरुवार और शुक्रवार को जिले की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में पहली बार हुए परीक्षण के दौरान डीआरडीओ के वैज्ञानिक, सेना के अधिकारी व टाटा डिफेंस सिस्टम के विशेषज्ञ मौजूद रहे। अब तक भारतीय सेनाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस प्रकार के लायल्टी ड्रोन एमनुएशन इजरायल से आयात किए जाते थे। अब मेक इन इंडिया के तहत इनका देश में ही निर्माण किया जा रहा है।
हजार किलोमीटर तक लक्ष्य ध्वस्त
स्टील्थ क्षमता वाला यह ड्रोन हवा में तैरता हुआ अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ता है। यह बम से सीधे लक्ष्य पर प्रहार कर उसे ध्वस्त कर देता है। इसी कारण इसे आत्मघाती ड्रोन कहा जाता है। स्वदेशी एएलएस-50 ड्रोन सिस्टम की रेंज 1000 किलोमीटर तक है। यह 190 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार 6 घंटे तक उड़ान भर सकता है। ड्रोन का वजन 135 किलोग्राम है। यह ड्रोन अपने साथ हथियार ले जाने में सक्षम है। इसका प्रयोग संकरी घाटियों, पहाड़ों, जंगलों जैसी सीमित जगहों पर आसानी से किया जा सकता है। इस स्वदेशी ड्रोन के भारतीय सेना में शामिल होने से सेना की मारक क्षमता और ज्यादा मजबूत हो जाएगी।
पाकिस्तान के अंदर घुसकर प्रहार
इस ड्रोन को शीघ्र ही सेनाओं को सौंपा जाएगा, जिसके बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इसकी तैनाती की जा सकती है। इस ड्रोन की क्षमता से पाकिस्तान के भीतर तक हमला किया जा सकता है।