पाकिस्तान और चीन के बाद अफगानिस्तान से बढ़ते खतरों के मद्देनजर भारत ने अपने रक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करने की दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मोदी की केंद्ग सरकार ने 11 हजार करोड़ रुपए के बड़े डिफेंस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। इस प्रोजेक्ट के तहत देश में छह एयरक्राफ्ट तैयार किए जाएंगे। ये किसी भी संकट की स्थिति में देश को पहले ही सूचित कर सकेंगे।
इस प्रोजेक्ट से भारतीय वायुसेना की सर्विलांस की ताकत बढ़ेगी और चीन तथा पाकिस्तान की सीमाओं की निगरानी आसानी से की जा सकेगी। इन एयरब्रोन अर्ली-वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट को आसमान में भारत की आंख बताया जा रहा है।
बनाए जाएंगे स्वदेशी रडार
मिली जानकारी के अनुसार मोदी सरकार ने डीआरडीओ के उस प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दे दी है, जिसके तहत स्वदेशी रडार बनाए जाएंगे। उन्हें एयरबस-321 पैसेंजर एयरक्राफ्ट में जोड़ा जाएगा। इन एयरक्राफ्ट को एयर इंडिया की वर्तमान फ्लीट से लिया जाएगा। सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में 8 सितंबर को इन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
एयरबस-टाटा प्रोजेक्ट भी मंजूर
बैठक में एयरबस-टाटा के उस प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दे दी गई, जिसके तहत 21 हजार करोड़ की लागत से मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 का निर्माण किया जाना है। इस परियोजना के तहत कुल 56 एयरक्राफ्ट तैयार किए जाएंगे। एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एयरक्राफ्ट्स को सीमाओं पर बढ़ते खतरे के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट की मंजूरी दिसंबर 2020 में दे दी थी।
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209 डिफेंस आइटम्स के आयात पर रोक
बता दें कि मोदी सरकार ने एक साल से 209 डिफेंस आइटम्स के आयात पर रोक लगा दी है। इस निर्णय पर 2021 से 2025 के बीच अमल किया जाएगा और धीरे-धीरे आयात में और कमी लाई जाएगी। इस बैन के तहत एयरबोर्न अर्ली एयरक्राफ्ट्स को भी शामिल किया गया है।