New Delhi: भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक आईएनएस ‘विक्रांत'(India’s first indigenous aircraft carrier INS ‘Vikrant’) के लिए 26 राफेल-एम फाइटर जेट(Rafale-M fighter jet) का सौदा फाइनल करने फ्रांस की एक टीम(A french team) नई दिल्ली पहुंची है। फ्रांस ने भारत की ओर से मांगी गई निविदा के लिए अपनी बोली भी जमा कर दी है। अब भारतीय पक्ष वाणिज्यिक प्रस्ताव(Commercial Proposal) सहित इस सौदे के लिए फ्रांसीसी बोली का विस्तृत अध्ययन करेगा। सरकार-से-सरकार अनुबंध(Government-to-government contract) के तहत फ्रांसीसी सरकार के अधिकारी भारत के साथ इस सौदे पर बातचीत करेंगे।
इस साल जुलाई में बैस्टिल डे परेड(Bastille day parade) के लिए राजकीय अतिथि के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) की फ्रांस यात्रा(France trip) से ठीक पहले रक्षा अधिग्रहण परिषद ने लगभग 5.5 बिलियन यूरो के विमान सौदे को मंजूरी दे दी थी। राफेल-एम के सौदे को भारत और फ्रांस के संबंधों में मील का पत्थर करार दिया जा रहा है। इससे पहले भारतीय वायु सेना ने दो लड़ाकू स्क्वाड्रन (36 विमान) के लिए राफेल को चुना था, अब भारतीय नौसेना राफेल-एम का अधिग्रहण करने के लिए तैयार है। नौसेना को फ्रांस से 22 सिंगल और 4 ट्विन सीट वाले 4.5 पीढ़ी के राफेल-एम जेट मिलेंगे।
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नौसेना के विमानवाहक विक्रांत और विक्रमादित्य के लिए 26 राफेल-एम फाइटर जेट की जरूरत है, यह सौदा 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का होगा। दरअसल, एक महीने पहले भारत ने फ्रांसीसी सरकार को एक अनुरोध पत्र (एलओआर) भेजा था। यह एक निविदा दस्तावेज की तरह है, जिसमें भारत सरकार ने अपनी सभी जरूरतों और क्षमताओं का उल्लेख किया था, जो वह विमान वाहक आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य के लिए खरीदे जाने वाले राफेल समुद्री विमान में रखना चाहती है।
भारत की निविदा पर अपनी बोली जमा
फ्रांस ने भारतीय नौसेना के विमान वाहक आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य के लिए 26 राफेल समुद्री जेट खरीदने के लिए भारत की निविदा पर अपनी बोली भी जमा कर दी है। विदेशों में सैन्य बिक्री से जुड़े फ्रांसीसी सरकारी अधिकारियों की एक टीम भारतीय निविदा पर प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने के लिए पेरिस से आई है। फ़्रांस की ओर से बोली जमा होने के बाद भारतीय पक्ष वाणिज्यिक प्रस्ताव, विमान की कीमत, अनुबंध के अन्य विवरणों के साथ इस सौदे के लिए फ्रांसीसी बोली का विस्तृत अध्ययन करेगा।
भारत अब फ्रांसीसी सरकार के अधिकारियों से करेगा बातचीत
भारत अब फ्रांसीसी सरकार के अधिकारियों के साथ सौदे पर बातचीत करेगा, क्योंकि यह एक सरकार-से-सरकार अनुबंध है। नौसेना प्रमुख ने भी सौदे को शीघ्र अंतिम रूप देने के लिए परियोजना की समय सीमा को कम करने का निर्देश दिया है। भारतीय नौसेना और भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए फास्ट-ट्रैक मोड में काम कर रही है ताकि अनुबंध पर जल्द से जल्द हस्ताक्षर हो सके और भारतीय वाहक हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की बढ़त सुनिश्चित करने के लिए विमान संचालित कर सकें।