भारतीय नौसेना दिवस: शौर्य और पराक्रम का हर्षोल्लास

आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में भारतीय नौसेना दिवस भव्यता के साथ मनाया जा रहा है। जिसमें वीरता और पराक्रम का इतिहास दर्शन हो रहा है।

153

भारतीय नौसेना के जांबाजों को याद करते हुए प्रतिवर्ष 04 दिसंबर को ‘भारतीय नौसेना दिवस’ मनाया जाता है। एक मायने में यह 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय नौसेना की शानदार जीत का जश्न होता है। दरअसल 03 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की सेना ने हमारे हवाई और सीमावर्ती क्षेत्र में हमला किया था। पाकिस्तान को मुहतोड़ जवाब देने के लिए उसकी नौसेना के कराची स्थित मुख्यालय को निशाने पर लेकर ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ चलाया गया। भारतीय नौसेना की मिसाइल नाव तथा दो युद्धपोतों के आक्रमणकारी समूह ने कराची के तट पर जहाजों के समूह पर हमला कर दिया। हमले में पाकिस्तान के कई जहाज और ऑयल टैंकर तबाह हो गए।

धू-धूकर जला कराची
भारतीय नौसेना का यह हमला इतना आक्रामक था कि कराची बंदरगाह पूरी तरह बर्बाद हो गया। कराची तेल डिपो पूरे सात दिनों तक धू-धूकर जलता रहा था। तेल टैंकरों में लगी आग की लपटों को 60 किलोमीटर दूर से तक देखा गया। भारत के जवाबी हमले में कराची हार्बर फ्यूल स्टोरेज तबाह होने के कारण पाकिस्तान की नौसेना की कमर टूट गई थी। नौसेना दिवस समारोह आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की योजना विशाखापत्तनम स्थित भारतीय नौसेना कमान द्वारा तैयार की जाती है। समारोह की शुरुआत युद्ध स्मारक पर पुष्प अर्पित करके की जाती है। उसके बाद नौसेना की पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों आदि की ताकत और कौशल का प्रदर्शन किया जाता है।

शौर्य का दर्शन
नौसेना के मुंबई स्थित मुख्यालय में इस अवसर पर नौसैनिक अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हैं और गेटवे ऑफ इंडिया बीटिंग रीट्रिट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। भारतीय नौसेना मुख्य रूप से तीन भागों (वेस्टर्न नेवल कमांड, ईस्टर्न नेवल कमांड तथा दक्षिणी नेवल कमांड) में बंटी है। वेस्टर्न नेवल कमांड का मुख्यालय मुंबई, ईस्टर्न नेवल कमांड का विशाखापत्तनम में और दक्षिणी नेवल कमांड का कोच्चि में है। वेस्टर्न तथा ईस्टर्न कमांड ऑपरेशनल कमांड है, जो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी को संभालते हैं। दक्षिणी नेवल कमांड ट्रेनिंग कमांड है। केरल स्थित एझिमाला नौसेना अकादमी एशिया की सबसे बड़ी नौसेना अकादमी है। भारत के राष्ट्रपति भारतीय नौसेना के सुप्रीम कमांडर हैं। वॉइस एडमिरल राम दास कटारी 22 अप्रैल 1958 को भारतीय वायुसेना के पहले भारतीय चीफ बने थे। भारतीय नौसेना का नीति वाक्य है ‘शं नो वरुणः’ अर्थात् जल के देवता वरुण हमारे लिए मंगलकारी रहें।

सात सौ वर्ष का इतिहास
भारतीय नौसेना का कार्य अपनी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करना है। इसके गठन का इतिहास ब्रिटिश काल से जुड़ा है। ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भारतीय नौसेना की स्थापना वर्ष 1612 में ब्रिटिश व्यापारियों के जहाजों की सुरक्षा के लिए ‘ईस्ट इंडिया कम्पनी मरीन’ के रूप में की थी। वर्ष 1686 तक ब्रिटिश व्यापार पूरी तरह से बॉम्बे में स्थानांतरित हो जाने के बाद इस दस्ते का नाम ‘ईस्ट इंडिया मरीन’ से बदलकर ‘बॉम्बे मरीन’ कर दिया गया। वर्ष 1892 में इसका नाम ‘रॉयल इंडियन नेवी’ रखा गया। आजादी के बाद वर्ष 1950 में नौसेना का गठन किया गया। 26 जनवरी 1950 को भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के बाद इसका नाम रॉयल इंडियन नेवी से बदलकर इंडियन नेवी (भारतीय नौसेना) किया गया।

विश्व की चौथी विशाल सैन्य शक्ति
भारत का इस साल का रक्षा बजट करीब 5.25 लाख करोड़ रुपये है और सैन्य ताकत के मामले में भारत दुनिया का चौथा सबसे शक्तिशाली देश है। भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही भारतीय नौसेना वर्तमान में विशालकाय और एडवांस फीचर से लैस अपने युद्धक पोतों, सबमरीन्स इत्यादि के बलबूते दुनियाभर में चौथे स्थान पर है। नौसेना के पास दो विशाल विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य तथा आईएनएस विक्रांत हैं, जिन पर अनेक एयरक्राफ्ट रखे जा सकते हैं और ताकतवर कमांडो फोर्स अथवा भारी मात्रा में जवानों को तैनात किया जा सकता है।

ये भी पढ़ें – अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस, प्रधानमंत्री मोदी ने दिव्यांगों को लेकर कही ‘यह’ बात

मारक शक्ति
नौसेना के पास आईएनएस जलाश्व नाम का एक एंफीबियस वॉरफेयर शिप है, जो एक हमलावर जहाज है, जिसमें नौसैनिकों को लेकर किसी देश के तट पर हमला करने के लिए भेजा जाता है। एंफिबियस वॉरफेयर शिप्स को सपोर्ट करने के लिए मगर, शार्दूल और कुंभीर क्लास के कुल 8 लैंडिंग शिप टैंक्स हैं। नौसेना के पास आठ लैंडिंग क्राफ्ट्स हैं, जो एक प्रकार के बोट्स होते हैं, जिनका उपयोग एंफीबियस ट्रांसपोर्टेशन के लिए किया जाता है। विशाखापत्तनम, कोलकाता, दिल्ली और राजपूत क्लास के कुल 10 विध्वंसक हैं। ये ऐसे जंगी जहाज होते हैं, जिनका प्राइमरी हथियार गाइडेड मिसाइल्स होती हैं। शिवालिक, तलवार और ब्रह्मपुत्र क्लास में कुल 14 फ्रिगेट्स नौसेना के पास हैं। कमोर्ता, कोरा, खुकरी, वीर और अभय क्लास के कुल 22 कॉर्वेट्स भी हैं। तटीय सुरक्षा, निगरानी, सीमाई सुरक्षा, इमिग्रेशन, लॉ-एनफोर्समेंट, सर्च एंड रेस्क्यू इत्यादि कार्यों के लिए नौसेना के पास सरयू, सुकन्या क्लास के कुल 10 ऑफशोर पेट्रोल वेसल भी हैं। कार निकोबार, बंगारम और त्रिंकट क्लास के 19 पेट्रोल वेसल भी मौजूद हैं। इनके अलावा नौसेना के पास 285 से ज्यादा जहाज, डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां, करीब 140 गश्ती पोत/निगरानी जहाज भी हैं, जो इसे दुनिया में चौथी सबसे मजबूत नौसेना बनाते हैं।

शक्ति का सागर में साम्राज्य
बहरहाल, यह गर्व की बात है कि हिन्द महासागर में ड्रैगन के कब्जे की रणनीति को नाकाम करने के लिए भारत अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए लगातार विध्वंसक युद्धपोतों और पनडुब्बियों के निर्माण में लगा है। इसी कड़ी में आईएनस कलवरी, खंडेरी और आईएनएस करंज के बाद स्वदेशी पनडुब्बी आईएनएस वेला को भी नौसेना में शामिल किया जा चुका है। यह अत्याधुनिक मशीनरी और टैक्नोलॉजी के साथ-साथ घातक हथियारों से भी लैस है। इस सबमरीन को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है, जो दुश्मन को उसकी मौत की भनक तक नहीं लगने देती। कुल मिलाकर, भारतीय नौसेना की ताकत दिनों-दिन बढ़ रही है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.