चेतावनी के बावजूद ताउते तूफान में कैसे डूब गए जहाज? पढ़िए रोंगटे खड़ी कर देने वाली पूरी कहानी

ताउते चक्रवात में सबसे ज्यादा मौतें ओएनजीसी के बार्ज पी-305 के साथ ही तीन अन्य जहाजों के डूबने से हुई हैं। इसमें सवार 51 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 650 कर्मचारियों को बचा लिया गया। अभी भी 20 कर्मचारियों का पता नहीं लग पाया है।

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ताउते चक्रवात ने देश के महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में भारी तबाही मचाई। इस विनाशकारी तूफान में 45 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी। लेकिन इस चक्रवात में सबसे ज्यादा मौतें ओएनजीसी के बार्ज पी-305 के साथ ही तीन चार अन्य जहाजों के डूबने से हुई हैं। इसमें सवार 51 लोगों की मौत हो गई, जबकि 650 कर्मचारियों को बचा लिया गया। अभी भी 20 कर्मचारियों का पता नहीं लग पाया है।

निश्चित तौर पर ताउते के दौरान इन जहाजों का डूबना और इतनी बड़ी संख्या में इन पर काम करने वाले कर्मचारियों की मौत घोर लापरवाही का परिणाम है। कई दिन पहले से ही ताउ ते को लेकर मौसम विभाग और मीडिया के साथ ही राज्य सरकारें भी अलर्ट जारी कर रही थीं, लेकिन पूरी घटना का अध्ययन करने पर पता चलता है कि इन जहाजों को लेकर सावधानी नहीं बरती गई और ताउते से निपटने की कोई  विशेष तैयारी नहीं की गई।

पुलिस में मामला दर्ज लेकिन कार्रवाई कब?
अब ताउते चक्रवात में हुई इन मौतों पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। 21 मई को मुंबई पुलिस ने बार्ज पी-305 के कप्तान समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। बता दें कि इस मामले में बार्ज पी-305 के मुख्य इंजीनियर रहमान शेख ने मुंबई के यलो गेट पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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कप्तान पर आरोप
शेख ने आरोप लगाया है कि लगातार मिल रही चेतावनी के बावजूद कप्तान राकेश बल्लव ने उस पर ध्यान नहीं दिया। तूफान के बीच बार्ज पर रुकना सुरक्षित नहीं होगा, ये बताने के बावजूद कप्तान ने मौजूद कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर कोई कदम नहीं उठाया। इसकी वजह से इतने लोगों की जान चली गई। उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है।

जांच के लिए समिति गठित
इसके साथ ही इस दुर्घटना की जांच के लिए केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने भी एक समिति गठित की है। मंत्रालय ने चेतावनी के बावजूद चार जहाजों को समुद्र में फंस जाने की जांच करने के लिए इस समिति का गठन किया है। समिति में शिपिंग के महानिदेशक अमिताभ कुमार, हाइड्रोकार्बन के महानिदेशक एससीएल दास और रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव नाजली शायिन शामिल हैं। समिति को एक महीने में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है।

ओएनजीसी और एएफसीओएनएस इंफ्रास्ट्रक्चर्स ने झटके हाथ
इस बीच ओएनजीसी और एएफसीओएनएस इंफ्रास्ट्रक्चर्स ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया है। ओनजीसी प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा है कि उनकी 99 बार्ज समुद्र में थे। ताउते के कारण समुद्र में उठ रहे तूफान और खराब मौसम की चेतावनी के बाद 94 बार्ज सुरक्षित स्थल पर लौट आए, जबकि बार्ज पी 305 नहीं आया। बता दें कि ये जहाज चार्टर थे और ओएनजीसी के लिए काम कर रहे थे।

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एएफसीओएनएस ने दी सफाई
दूसरी ओर एएफसीओएनएस ने सफाई दी है कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार 16 से 17 मई के बीच समुद्र में 40 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की जानकारी मिली थी। उसके बाद 94 जहाजों के सभी क्रू मेंबर्स सुरक्षित स्थल पर मुंबई बंदरगाह और रेवडांडा लौट आए थे। लेकिन बार्ज पी- 305 के कप्तान ने कार्यस्थल से 200 मील दूर जाने का निर्णय लिया। हालांकि 16 मई से ही मौसम तेजी से बदलने लगा था। पूर्वानुमान के विपरीत निर्णय लेकर कप्तान ने कर्मचारियों की जान को खतरे में डाल दिया।

16 मई की रात में ऐसे हुई दुर्घटना
बता दें कि ताउते ने 16 मई की सुबह से ही अपना विनाशकारी रुप दिखाना शुरू कर दिया था। शाम होते-होते यह काफी भयानक और जानलेवा साबित होने लगा था। इसी शाम को उसने बॉम्बे हाई के पास के चार बार्ज और ओएनजीसी ड्रिलिंग शिप पी-305 को अपनी चपेट में ले लिया। मुंबई के पश्चिमी तट से करीब 90 किलोमीटर दूर हीरा ऑयल फील्ड के पास ये सभी वेसल लंगर डालकर रुके थे। जैसे ही ताउते ने उग्र रुप धारण करना शुरू किया, बार्ज पी-305 के लंगर टूट गए।

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और फिर जहाज चट्टान से टकरा गया
इसके बाद बार्ज टूटकर समुद्र में बहने लगा और एक बड़े चट्टान से टकरा जाने के कारण उसकी स्थिति और खराब हो गई। उसमें टाइटैनिक की तरह समुद्र का पानी भरने लगा और देर रात होते-होते वह समुद्र में डूबने लगा। बार्ज पी-305 पर उस समय कुल 283 कर्मचारी मौजूद थे। उनके पास समुद्र में कूदने या मौत का इंतजार करने के आलावा और कोई रास्ता नहीं था। करीब 12 घंटों तक समुद्र में तैरते रहने के बाद उनके पास नौसेना और तटरक्षक दल द्वारा मदद पहुंचाई जा सकी। नौसेना की आईएनएस कोच्चि और उसके बाद आईएनएस कोलकाता भी इस अभियान में जुट गई। एयरक्राफ्ट की सहायता से कर्मचारियों को लिफ्ट कराया गया। तब तक कई लोग समुद्र में डूबकर दम तोड़ चुके थे।

ये जहाज भी डूब गए
बार्ज पी-305 के आलावा सपोर्ट स्टेशन 3, बार्ज जीएल कंस्ट्रक्टर और ड्रिलिंग रिग सागर भूषण भी डूबने लगे। इन्हें बाद में पोर्ट ट्रस्ट में लाया गया। चारों जहाजों पर फंसे कुल 721 लोगों में अब तक कुल 650 से ज्यादा लोगों को बचा लिया गया है। इनमें बार्ज पी-305 पर फंसे 283 लोगों में से 188 कर्मचारी भी शामिल हैं।

मदद की घोषणा
इस बीच ओएनजीसी ने इस हादसे के मृतकों और लापता कर्मचारियों के परिजनों को दो-दो लाख और बच गए कर्मचारियों को एक-एक लाख रुपए मदद के रुप में देने की घोषणा की है।

 सियासत शुरू
इस घटना को लेकर महाराष्ट्र में राजनीति तेज हो गई है। शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने पीएम को पत्र लिखकर ओएनजीसी के अध्यक्ष पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग की है। इसके साथ ही शिवसेना के मुखपत्र सामना में पीएम मोदी के गुजरात हवाई दौरे पर तंज कसते हुए इतने बड़े हादसे पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया गया है। जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता और प्रदेश की महाविकास आघाड़ी सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक ने ओनजीसी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने पूर्व चेतावनी के बावजूद कर्मचारियों को समुद्र में रुकने देने पर सवाल उठाए हैं। मलिक ने इन मौतों के लिए पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को जिम्मेदार बताते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।

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