नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग बस्ती में 04 दिसम्बर को सुरक्षाबलों की फायरिंग में 13 नागरिकों की मौत के बाद हुई हिंसा की जांच के लिए 29 दिसंबर को सेना की टीम मौके पर पहुंची। स्थानीय लोगों के हिंसक हमले में सेना के एक जवान की भी मौत हुई थी। सेना के उच्च अधिकारियों ने मुख्य घटनास्थल पर पहुंचकर सबूत इकट्ठे किए।
मारे गए थे 12 निर्दोष लोग
उग्रवादियों के संदेह में सेना के 21 पैरा कमांडो की गोलीबारी में 13 निर्दोष लोग मारे गए थे। गोलीबारी के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने सुरक्षाबलों की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया था। इसके बाद पूरे जिले में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए। लोग अफस्पा कानून को वापस करने की मांग को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों ने की थी उच्चस्तरीय जांच की मांग
कोन्याक यूनियन, कोयन्याक स्टूडेंट यूनियन के साथ ही विभिन्न संगठनों ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी। इसके बाद इस मामले की जांच के लिए सेना ने एक जांच टीम का गठन किया। भारतीय सेना की ओर से रविवार को नगालैंड के मोन जिले में उग्रवाद विरोधी अभियान पर एक बयान जारी करके नगालैंड के लोगों से धैर्य रखने और सेना की जांच के निष्कर्षों की प्रतीक्षा करने का अनुरोध किया गया। सेना ने यह भी भरोसा दिलाया कि इस मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
सेना ने व्यक्त किया था खेद
इस घटना में नागरिक जीवन के नुकसान पर खेद व्यक्त करते हुए बयान में यह भी कहा गया था कि सेना की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है और इसे जल्द से जल्द समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। सेना नगालैंड सरकार की एसआईटी जांच के साथ पूरी तरह से सहयोग कर रही है। जांच के क्रम में आज दिनजान स्थित सेना शिविर के दो ब्रिगेडियर, एक जनरल मेजर, नगालैंड की एक महिला आईपीएस अधिकारी ओटिंग बस्ती पहुंचे और तथ्यों को संग्रह किया। इसके बाद टीम ने टीजिट थाना पहुंचकर पुलिस अधिकारियों के साथ चर्चा की।