रूस से वायु रक्षा प्रणाली एस-400 प्राप्त करने के लिए भारत ने बड़ा निर्णय लिया है। इस बारे में अमेरिकी दबाव को दरकिनार कर भारत इस मिसाइल के संचालन प्रशिक्षण, रखरखाव और तकनीकि जानकारी के लिए 100 अधिकारियों के एक दल को रूस भेजेगा। इस मिसाइल की पहली खेप वर्ष 2021 के सितंबर तक मिलने की आशा है।
पिछले सप्ताह ही अमेरिका के राजदूत ने कहा था कि, प्रतिबंध इसलिए बनाए जाते हैं कि दोस्तों को नुकसान न पहुंचाएं, लेकिन भारत को एस-400 प्राप्त करने के लिए चयन करना होगा। सैन्य मामलों के जानकारों ने इसे अमेरिका की चेतावनी के रूप में देखा तो उन्हीं में से कुछ ने इसे रूस के साथ इस व्यापार को रद्द करने का अंतिम प्रयत्न बताया। लेकिन इन किंतु-परंतु से हटकर अब जो सूचना मिल रही है। उसके अनुसार भारत रूस से एस-400 वायु रक्षा प्रणाली प्राप्त करने कि दिशा में प्रतिबद्धता से आगे बढ़ रहा है।
हमारी है स्वतंत्र विदेश नीति
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एस-400 वायु रक्षा प्रणाली को लेकर अमेरिकी आक्षेपों को दरकिनार कर दिया है। उसने बड़ी ही सरलता से इसका उत्तर दिया है कि भारत की स्वतंत्र विदेश नीति है। जो देश की सुरक्षा के लिए सैन्य उपकरणों को प्राप्त करने का पथ प्रदर्शक है। रूस से एस-400 प्राप्त करने पर अमेरिका अपने प्रतिबंधात्मक कानून (CAATSA) के अंतर्गत भारत पर प्रतिबंध लाद सकता है। इसके अंतर्गत अमेरिका भारत पर सेकेंडरी प्रतिबंध लाद सकता है।
ये भी पढ़ें – इसलिए देश में ‘पुणेरी’ का परचम!
क्या है एस-400?
एस-400 वायु रक्षा प्रणाली अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली है।
इसका पूरा नाम एस-400 ट्रायम्फ, नाटो देश एसए-21 ग्रोलर के नाम से जानते हैं
अमेरिका के थाड (टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस) से उन्नत
इसमें एक साथ कई उपकरण हैं जिसमें राडार, खुद निशाने को चिन्हित करनेवाले एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम, लॉन्चर, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर आदि
एक साथ 100 हवाई खतरों को भांपकर दागने में सक्षम
400 किमी की रेंज में लड़ाकू विमान, बेलिस्टिक व क्रूज मिसाइल व ड्रोन को खत्म करने में सक्षम
अचूक मारक क्षमता से है लैस, एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दागने में सक्षम
क्या है काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) कानून?
यह कानून रूस, ईरान और उ.कोरिया पर प्रतिबंध लगाता है। इस विधेयक को जनवरी 2017 में अमेरिकी कांग्रेस में पेश किया गया था। इस पर अमेरिकी सिनेटरों ने मतदान किया और इसे कानून का रूप दिया। यह रूस से कच्चे तेल, साइबर सुरक्षा, वित्तीय संस्थानों से व्यवहार, मानवाधिकारों का हनन, हथियारों के हस्तांतरण से संबंधित गतिविधियों पर प्रतिबंध का अधिकार प्रदान करता है।
ये भी पढ़ें – चीन-पाकिस्तान पर क्या है सेना प्रमुख की दो टूक… जानें विस्तार से
क्या होंगे प्रतिबंध?
ऋण लेने पर प्रतिबंध
वस्तुओं और सेवाएं प्राप्त करने पर प्रतिबंध
वीजा देने पर प्रतिबंध
निर्यात के लिए वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी।