मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल (एमआरएसएएम) की पहली फायरिंग खेप वायु सेना में शामिल हो गई है। इससे देश की सुरक्षा और मारक क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी होगी। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल थे।
एमआरएसएएम का निर्माण भारत का रक्षा विकास और रिसर्च सस्थान डीआरडीओ ने किया है। इस परियोजना में इजयारली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) भी सम्मिलित है। इस मिसाइल प्रणाली से सेना को मध्यम रेंज के आकाशीय खतरों से निपटने में सहायता मिलेगी।
In a major boost to Air Defence capabilities, Raksha Mantri Shri Rajnath Singh handed over 1st Firing Unit of #MRSAM System to #IndianAirForce today. He congratulated #DRDO, IAF, IAI Israel & Indian Industries for their synergistic efforts in developing the System. #Atmanirbharta pic.twitter.com/1gSjnq2kZi
— DRDO (@DRDO_India) September 9, 2021
ये है परियोजना
मध्यम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल कार्यक्रम फरवरी 2009 में शुरू हुआ था। इसके अतंर्गत वायु सेना को 450 एमआरएसएएम और 18 फायरिंग यूनिट खरीदने की योजना था। यह पूरी परियजोना 2 बीलियन डॉलर की थी। इसमें से वायु सेना ने एक एमआरएसएएम रेजिमेंट और 16 फायरिंग यूनिट का ऑर्डर किया था। इजरायली कंपनी आईएआई और डीआरडीओ ने जुलाई 2016 में इसके तीन फ्लाइट टेस्ट किये हैं। जिसमें यह सफल रही।
सेना ने दिये ऑर्डर
एमआरएसएएम/एलआरएसएएम को एयरो इंडिया 2017 में इजरायली कंपनी आईएआई ने प्रदर्शित किया था। अप्रैल 2017 में आईएआई ने 2 बीलियन डॉलर का ठेका भारतीय सेना को एमआरएसएएम देने के लिए प्राप्त किया था। इसके अलावा नौसेना के लिए एलआरएसएएम उपलब्ध कराने का ठेका भी दिया गया था। जनवरी 2019 आईएआई ने भारतीय नौसेना और कोचिन शिपयार्ड के साथ 93 मीलियन डॉलर का अनुबंध किया।