भारतीय वायु सेना ने सैन्य संसाधन विकास के अंतर्गत हैव ड्रॉप सिस्टम का परीक्षण किया है। यह परीक्षण सफल रहा है। इसे एरियल रिसर्च एंच डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट द्वारा विकसित किया गया है।
एरियल रिसर्च एंच डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट (एआरडीइ) (ARDE) ने हैवी ड्रॉप सिस्टम (Heavy Drop System) के प्रकार विकसित किये हैं, जिसमें ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट (Transport Aircraft) को कहीं भी ले जाया जा सके। हैवी ड्रॉप के माध्यम से एएन-32 (AN 32), आईएल-76 (IL 76) को भी कहीं भेजा जा सकता है। इसके तीन प्रमुख प्रकार है, जिनसे तीन टन, सात टन, और 16 टन के सैन्य कार्गो को निश्चित स्थान पर एयर ड्रॉप किया जा सकता है। तीन टन और सात टन की क्षमता वाले हैवी ड्रॉप सिस्टम को भारतीय थल सेना (Indian Army) और भारतीय नौसेना (Indian Navy) में शामिल किया जा चुका है।
क्या है हैवी ड्रॉप सिस्टम?
हैवी ड्रॉप सिस्टम (एचडीएस) एक विशेष सैन्य तकनीक है जिसका उपयोग विभिन्न सैन्य आपूर्ति, उपकरण और वाहनों की सटीक पैरा-ड्रॉपिंग के लिए किया जाता है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अनुसार, एडीआरडीई द्वारा विकसित कुछ उन्नत पैराड्रॉप तकनीकें केवल कुछ उन्नत देशों द्वारा आजमाई गई तकनीकों के बराबर हैं।
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हैवी ड्रॉप सिस्टम में शामिल संसाधन
IL-76 विमान के लिए हेवी ड्रॉप सिस्टम-P7 में एक प्लेटफॉर्म और पैराशूट असेंबली शामिल है। इस पैराशूट प्रणाली में पांच प्राथमिक कैनोपी, पांच ब्रेक शूट, दो सहायक शूट और एक एक्सट्रैक्टर पैराशूट शामिल हैं। डीआरडीओ (DRDO) के अनुसार, यह प्लेटफॉर्म एल्यूमीनियम और स्टील मिश्र धातुओं से निर्मित एक मजबूत धातु संरचना है, जिसका वजन लगभग 1,110 कि.मी. है।