ब्रह्मोस मिसाइल से लैस स्वदेशी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक ‘इंफाल’ (Destroyer warship ‘Imphal’) मंगलवार को भारतीय नौसेना (Indian Navy) के युद्धक बेड़े में शामिल (inducted) कर लिया गया। मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड (Mumbai Naval Dockyard) में एक समारोह के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) की मौजूदगी में आज इस जहाज को औपचारिक रूप से बेड़े में शामिल किया गया। स्वदेशी रूप से डिजाइन और अत्याधुनिक तकनीक से बना ‘इंफाल’ युद्धपोत परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध के हालात में भी लड़ने में सक्षम है।
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के शहर के नाम पर पहला युद्धपोत
भारतीय नौसेना के नवीनतम निर्देशित मिसाइल स्टील्थ विध्वंसक इंफाल की लॉन्चिंग 20 अप्रैल, 2019 को हुई थी। इसी समारोह के दौरान जहाज का नाम इंफाल रखा गया था। भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के किसी शहर के नाम पर रखा जाने वाला पहला उन्नत युद्धपोत है, जिसके लिए राष्ट्रपति ने 16 अप्रैल, 2019 को मंजूरी दी थी।
युद्धपोतों और पनडुब्बियों के नामकरण की परंपरा
समुद्री परंपराओं और नौसैनिक रिवाजों के अनुसार भारतीय नौसेना के युद्धपोतों और पनडुब्बियों के नाम प्रमुख शहरों, पर्वत श्रृंखलाओं, नदियों, बंदरगाहों और द्वीपों के नाम पर रखे गए हैं। समुद्र में इंफाल की अधिकतम गति 30 समुद्री मील (56 किलोमीटर प्रति घंटा) से अधिक होगी और यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और सेंसर से लैस है।
मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया तैयार
प्रोजेक्ट 15 बी के तहत मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में निर्माणाधीन चार गाइडेड मिसाइल स्टील्थ डेस्ट्रॉयर्स में से यह तीसरा युद्धपोत है। इसे एमडीएल ने इसी साल 20 अक्टूबर को भारतीय नौसेना को सौंप दिया था। नौसेना के बेड़े में शामिल होने से पहले परीक्षण के रूप में इस युद्धपोत से 22 नवंबर को विस्तारित रेंज की ब्रह्मोस मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया गया। परीक्षण के दौरान भारत की बढ़ती जहाज निर्माण क्षमता, स्वदेशी हथियारों और प्लेटफार्मों की विश्वसनीयता परखने पर फोकस किया गया। इस असाधारण उपलब्धि के पश्चात इस युद्धपोत का क्रेस्ट अनावरण 28 नवंबर को शानदार तरीके से नई दिल्ली में किया गया।
‘इम्फाल’ के निर्माण में 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का उपयोग
जहाज में लगभग 75 प्रतिशत की उच्च स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जिसमें एमआर एसएएम, ब्रह्मोस एसएसएम, स्वदेशी टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर, पनडुब्बी रोधी स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर और 76 मिमी. एसआरजीएम शामिल हैं। इंफाल पहला ऐसा स्वदेशी विध्वंसक है, जिसके निर्माण और समुद्री परीक्षणों को पूरा करने में सबसे कम समय दर्ज किया गया। 163 मीटर लंबाई, 7,400 टन वजन और 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ इंफाल को भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना जा सकता है। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में भारत की बढ़ती जहाज निर्माण क्षमता का प्रमाण है।
आधुनिक निगरानी रडार से लैस युद्धपोत
इस युद्धपोत में एक आधुनिक निगरानी रडार लगा हुआ है, जो इसके तोपखाने हथियार प्रणालियों को लक्ष्य डेटा प्रदान करता है। इसकी पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताएं स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो लॉन्चर और एएसडब्ल्यू हेलीकॉप्टरों से लैस हैं। यह युद्धपोत परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध के हालात में भी लड़ने में सक्षम है। प्रमुख ओईएम के साथ-साथ बीईएल, एलएंडटी, गोदरेज, मरीन इलेक्ट्रिकल, ब्रह्मोस, टेक्निको, किनेको, जीत एंड जीत, सुषमा मरीन, टेक्नो प्रोसेस आदि जैसे एमएसएमई ने शक्तिशाली इंफाल के निर्माण में योगदान दिया है। इंफाल के निर्माण और उसके परीक्षणों में लगा समय किसी भी स्वदेशी विध्वंसक के लिए सबसे कम है।
मणिपुर के बलिदान और योगदान की सच्ची श्रद्धांजलि
यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मणिपुर के बलिदान और योगदान के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि है, चाहे वह 1891 का एंग्लो-मणिपुर युद्ध हो या नेताजी सुभाष चंद्र बोस के हाथों 14 अप्रैल, 1944 को मोइरांग में पहली बार आईएनए ध्वज फहराना या ब्रिटिश और शाही जापानी सेनाओं के बीच इंफाल की घमासान लड़ाई, जिसमें दोनों तरफ भारतीय थे। इस युद्ध ने बर्मा अभियान का रुख मोड़ दिया और द्वितीय विश्व युद्ध और नई विश्व व्यवस्था के परिणाम को आकार दिया। इस प्रकार इंफाल युद्धपोत की कमीशनिंग राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और समृद्धि के लिए मणिपुर राज्य के इंफाल शहर और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के महत्व और योगदान को रेखांकित करता है।
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