केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करने और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए नागरिक प्रशासन और सशस्त्र बलों की अधिक से अधिक संयुक्तता का आह्वान किया है। रक्षा मंत्री सोमवार को यहां मसूरी, स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के 28वें संयुक्त नागरिक-सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा व्यापक हो गई है, क्योंकि कई सैन्य हमलों से सुरक्षा के अधिक सामान्य पहलू में गैर-सैन्य आयामों को जोड़ा गया है। उन्होंने ने रूस-यूक्रेन की स्थिति और इसी तरह के अन्य संघर्षों को इस बात का प्रमाण बताया कि दुनिया पारंपरिक युद्ध से कहीं अधिक चुनौतियों का सामना कर रही है। “युद्ध और शांति अब दो अनन्य राज्य नहीं हैं, बल्कि एक निरंतरता है। शांति के दौरान भी कई मोर्चों पर युद्ध जारी है। एक पूर्ण पैमाने पर युद्ध किसी देश के लिए उतना ही घातक होता है जितना कि उसके दुश्मनों के लिए। इसलिए, पिछले कुछ दशकों में पूर्ण पैमाने पर युद्धों से बचा गया है”।
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रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद के सृजन और सैन्य मामलों के विभाग की स्थापना के साथ नागरिक-सैन्य संयुक्तता की पूर्ण प्रक्रिया शुरू की गई है। उन्होंने कहा, ये फैसले देश को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने में मददगार साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और रक्षा क्षेत्र को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए उठाए गए कदमों के परिणाम सामने आने लगे हैं।उन्होंने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है जो युद्ध नहीं चाहता। इसने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया और न ही किसी की एक इंच जमीन पर कब्जा किया है। अगर कोई हम पर बुरी नजर डालता है, तो हम उसका मुंहतोड़ जवाब देंगे। राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में संयुक्त नागरिक-सैन्य कार्यक्रम जैसे कार्यक्रम नागरिक-सैन्य एकीकरण की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काम करने के दृष्टिकोण को बदल दिया है, जो संयुक्त रूप से काम करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उन्होंने कहा कि इस नए दृष्टिकोण, जिसके साथ सरकार अब काम कर रही है, ने राष्ट्र के समग्र विकास को सुनिश्चित किया है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने राष्ट्र के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। शास्त्री जी ने देश में ‘एकता’ और ‘एकता’ के विचार का सम्मान किया था। जनता से लेकर प्रशासन तक वे कार्य को एकता की दृष्टि से देखने में विश्वास रखते थे। पिछले दो दशकों से चलाया जा रहा यह संयुक्त नागरिक सैन्य कार्यक्रम शास्त्री जी के उस विजन को आगे बढ़ा रहा है।