Jammu and Kashmir: गृह मंत्रालय (home Ministry) ने देर 27 फरवरी (मंगलवार) को जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) (जेईआई) जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) को ‘गैरकानूनी संगठन’ (unlawful association) घोषित करते हुए उस पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध अगले पांच साल के लिए बैन बढ़ा दिया।
इसकी पुष्टि करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा, ”आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ पीएम मोदी की जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हुए सरकार ने जमात-ए-इस्लामी, जम्मू कश्मीर पर प्रतिबंध पांच साल के लिए बढ़ा दिया है।”
Pursuing PM @narendramodi Ji’s policy of zero tolerance against terrorism and separatism the government has extended the ban on Jamaat-e-Islami, Jammu Kashmir for five years. The organisation is found continuing its activities against the security, integrity and sovereignty of…
— Amit Shah (@AmitShah) February 27, 2024
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गैरकानूनी संगठन घोषित
उन्होंने एक्स पर किये अपने पोस्ट में कहा, “संगठन को राष्ट्र की सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ अपनी गतिविधियों को जारी रखते हुए पाया गया है। संगठन को पहली बार 28 फरवरी 2019 को ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित किया गया था। राष्ट्र की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति को क्रूर उपायों का सामना करना पड़ेगा।” गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक, “जमात-ए-इस्लामी, जम्मू और कश्मीर (बाद में जेईआई के रूप में संदर्भित) ऐसी गतिविधियों में शामिल रहा है, जो आंतरिक सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक हैं और देश की एकता और अखंडता को बाधित करने की क्षमता रखते हैं।”
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पाकिस्तान समर्थक है जमात
जमात-ए-इस्लामी 1942 में विभाजन से पहले स्थापित एक सामाजिक-धार्मिक राजनीतिक दल है। संगठन, जिसका जम्मू-कश्मीर में एक मजबूत कैडर आधार है, जमात-ए-इस्लामी हिंद से अलग है और पाकिस्तान की ओर अधिक झुकाव रखता है। यह 1990 से पहले जम्मू-कश्मीर की चुनावी राजनीति का हिस्सा था।संगठन का कहना है कि जम्मू और कश्मीर एक विवादित राज्य है और आत्मनिर्णय के अधिकार के माध्यम से इसका समाधान चाहता है। उग्रवाद की शुरुआत में, घाटी का सबसे बड़ा आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन खुद को जमात की सशस्त्र शाखा कहता था।
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