मराठा लाइट इन्फेंट्री रेजिमेंट अलास्का में अमेरिकी सैनिकों के साथ ‘युद्धाभ्यास’ करेगी

यह अभ्यास हर साल भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच बारी-बारी से होता है।

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मराठा लाइट इन्फेंट्री रेजिमेंट (Maratha Light Infantry Regiment) की 350 कर्मियों वाली भारतीय सेना (Indian Army) की टुकड़ी अलास्का (Alaska) में अमेरिकी सैनिकों (American Soldiers) के साथ ‘युद्धाभ्यास’ (Manoeuvres) में भाग लेगी। यह अभ्यास 25 सितंबर से 8 अक्टूबर तक अमेरिका के फोर्ट वेनराइट में होगा। भारतीय और अमेरिकी सेना के बीच बारी-बारी से होने वाला यह संयुक्त वार्षिक अभ्यास है। इसका 18वां संस्करण पिछले साल नवंबर में उत्तराखंड के औली में हुआ।

भारत की ओर से अभ्यास के इस संस्करण में 350 कर्मियों वाली भारतीय सेना की मराठा लाइट इन्फेंट्री रेजिमेंट की टुकड़ी हिस्सा लेगी। अमेरिका की ओर से प्रथम ब्रिगेड कॉम्बैट टीम की 1-24 इन्फेंट्री बटालियन भाग लेगी। दोनों पक्ष संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियानों के संचालन में अंतरसंचालनीयता बढ़ाने के लिए सामरिक अभ्यासों की एक शृंखला का अभ्यास करेंगे। दोनों सेनाओं के सैनिक अपने अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए विस्तृत चर्चा भी करेंगे। अभ्यास का विषय संयुक्त राष्ट्र शासनादेश के अध्याय VII के तहत ‘पर्वतीय/चरम जलवायु परिस्थितियों में एक एकीकृत युद्ध समूह का नियोजन’ है।

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चयनित विषयों पर एक कमांड पोस्ट अभ्यास और विशेषज्ञ अकादमिक चर्चाएं भी कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगी। फील्ड प्रशिक्षण अभ्यास के दायरे में ब्रिगेड स्तर पर दुश्मनों के खिलाफ एकीकृत युद्ध समूहों का सत्यापन, ब्रिगेड, बटालियन स्तर पर एकीकृत निगरानी ग्रिड, हेलीबोर्न, एयरबोर्न तत्वों और फोर्स मल्टीप्लायरों का रोजगार, संचालन के दौरान रसद और हताहत प्रबंधन का सत्यापन शामिल है। फोर्स मल्टीप्लायर ऑपरेशन के दौरान लॉजिस्टिक्स और हताहत प्रबंधन, निकासी, युद्ध चिकित्सा सहायता, उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों और अत्यधिक जलवायु परिस्थितियों पर लागू होने वाले अन्य पहलुओं का सत्यापन किया जाएगा।

अभ्यास में लड़ाकू इंजीनियरिंग, बाधा निवारण, बारूदी सुरंग और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेस सहित युद्ध कौशल के व्यापक स्पेक्ट्रम पर अभ्यास में विचारों और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान भी शामिल होगा। ‘युद्धाभ्यास’ में दोनों सेनाओं को एक-दूसरे से पारस्परिक रूप से सीखने का मौका मिलेगा, जिससे दोनों सेनाओं के बीच संबंध और मजबूत होंगे।

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