एस्ट्रा एमके I मिसाइल के लिए बीडीएल के साथ 2,900 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर

एस्ट्रा एमके I मिसाइल के प्रक्षेपण और परीक्षण की सभी संबद्ध प्रणालियों को डीआरडीओ ने वायु सेना के समन्वय से विकसित किया है।

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रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए एस्ट्रा एमके I बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल सिस्टम और सम्बंधित उपकरण खरीदने के लिए भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) के साथ 2,900 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। फिलहाल यह मिसाइल सुखोई लड़ाकू विमानों पर एकीकृत है लेकिन अब इसे हल्के लड़ाकू विमान (तेजस) पर चरणबद्ध तरीके से लगाया जाना है। इसी तरह भारतीय नौसेना मिग 29के लड़ाकू विमानों में मिसाइल को एकीकृत करेगी। अभी तक इस श्रेणी की मिसाइल को स्वदेशी रूप से बनाने की तकनीक उपलब्ध नहीं थी। इसलिए भारतीय वायु सेना की जरूरतों के लिहाज से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और विकसित किया है। एस्ट्रा एमके I बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल अपने लड़ाकू विमानों को बड़ी स्टैंड ऑफ रेंज प्रदान करती है। यह मिसाइल दुश्मन के एयर डिफेन्स सिस्टम और विमानों को चुपके से बेअसर कर सकती है। यह मिसाइल तकनीकी और आर्थिक रूप से कई आयातित मिसाइल प्रणालियों से बेहतर है।

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एस्ट्रा एमके I मिसाइल के प्रक्षेपण और परीक्षण की सभी संबद्ध प्रणालियों को डीआरडीओ ने वायु सेना के समन्वय से विकसित किया है। इस मिसाइल के लिए पहले ही सफल परीक्षण किए जा चुके हैं, जो पूरी तरह से सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में एकीकृत है। अब इसे चरणबद्ध तरीके से हल्के लड़ाकू विमान (तेजस) सहित अन्य लड़ाकू विमानों के साथ एकीकृत किया जाएगा। इसी तरह भारतीय नौसेना अपने मिग 29के लड़ाकू विमानों को एस्ट्रा एमके I मिसाइल से लैस करेगी।रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को 2971 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए मिसाइल और संबंधित उपकरणों की आपूर्ति के लिए भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। एस्ट्रा एमके-I मिसाइल और सभी संबद्ध प्रणालियों के उत्पादन के लिए डीआरडीओ से बीडीएल को प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण पूरा कर लिया गया है। यह परियोजना एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में कई एमएसएमई के लिए अवसर भी पैदा करेगा। यह परियोजना अनिवार्य रूप से ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना का प्रतीक है और हवा से हवा में मिसाइलों में आत्मनिर्भरता की दिशा में देश की यात्रा को साकार करने में मदद करेगी।

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