Indian Navy को मिला ‘निर्देशक’ सर्वेक्षण पोत, ताकत इतनी कि कांपेगे दुश्मन देश

नौसेना को 18 दिसंबर को सर्वेक्षण पोत 'निर्देशक' मिल गया, जो हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सामरिक उपस्थिति को सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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Indian Navy को 18 दिसंबर को सर्वेक्षण पोत ‘निर्देशक'(Survey Vessel ‘Director’) मिल गया, जो हिंद महासागर क्षेत्र(Indian Ocean Region) में भारत की सामरिक उपस्थिति को सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। जीआरएसई कोलकाता(GRSE Kolkata) में निर्मित इस पोत में 80 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री इस्तेमाल(More than 80% indigenous content used) की गयी है, जिससे जहाज के डिजाइन और निर्माण में भारत के आत्मनिर्भर होने की पुष्टि(Confirmation of India’s self-reliance in ship design and construction) होती है। लगभग 3800 टन भार वाला 110 मीटर लंबा यह जहाज दो डीजल इंजनों से संचालित(Powered by diesel engines) है और अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक तथा समुद्र विज्ञान सर्वेक्षण उपकरणों से लैस(Equipped with oceanographic survey equipment) है।

सर्वेक्षण पोत ‘निर्देशक’ का पुनर्जन्म
विशाखापत्तनम स्थित नौसेना डॉकयार्ड में 18 दिसंबर को रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ की मौजूदगी में नौसेना में शामिल किये गए सर्वेक्षण पोत ‘निर्देशक’ का यह एक तरह पुनर्जन्म है, क्योंकि पूर्ववर्ती ‘निर्देशक’ की 32 वर्षों तक भारतीय नौसेना में विशिष्ट सेवाएं देने के बाद 19 दिसंबर, 2014 को विदाई दे दी गई थी। अब सर्वेक्षण पोत (वृहद) परियोजना का दूसरा जहाज ‘निर्देशक’ जल सर्वेक्षण करने, नौवहन में सहायता करने और समुद्री परिचालन में सहायता करने के लिए तैयार किया गया है। भारतीय नौसेना के लिए एसवीएल प्रोजेक्ट के तहत बनाए जा रहे चार सर्वे वेसल (बड़े) में से दूसरा ‘निर्देशक’ पिछले साल 26 मई को चेन्नई के कट्टुपल्ली में लॉन्च किया गया था।

30 अक्टूबर, 2018 को हुआ था अनुबंध
रक्षा मंत्रालय और कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) में एसवीएल प्रोजेक्ट पर 30 अक्टूबर, 2018 को हस्ताक्षर किए गए थे। इस प्रोजेक्ट के तहत चार एसवीएल जहाजों का निर्माण किया जाना था। प्रोजेक्ट का पहला जहाज ‘संध्याक’ 05 दिसंबर, 21 को कोलकाता में लॉन्च किया गया था।एसवीएल के चार जहाजों में से तीन का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) के सहयोग से लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के कट्टुपल्ली कारखाने में किया जा रहा है। यह उन्नत पोत मल्टी-बीम इको साउंडर्स, साइड स्कैन सोनार और आरओवी जैसी अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक प्रणालियों से लैस है। यह हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण, नेविगेशन, गहरे समुद्र में संचालन और पर्यावरण अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा।

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18 नॉटिकल मील प्रति घंटा की अधिकतम गति
विशाखापत्तनम स्थित नौसेना डॉकयार्ड में आज हुए कमीशनिंग समारोह का आयोजन पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ ने किया।आईएनएस ‘निर्देशक’ समुद्र में 25 दिनों से अधिक समय तक टिके रहने और 18 नॉटिकल मील प्रति घंटा की अधिकतम गति के साथ भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने के लिए तैयार है। यह देश के जलक्षेत्र का मानचित्रण करने और विदेशी सहयोग सर्वेक्षणों के माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सामरिक उपस्थिति को सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस सर्वेक्षण पोत को नौसेना में शामिल किया जाना भारत के हाइड्रोग्राफिक बेड़े के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

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