समझौते का राजनीतिक दिखावा हो, तो भी कभी दुश्मन पर भरोसा न करें: जनरल मलिक

कोई देश राजनीतिक रूप से मित्रता दिखा रहा है तो भी आत्मसंतुष्टि के लिए कोई जगह नहीं है। जनरल मलिक ने कहा कि युद्धविराम हो या न हो मैंने कई बार युद्धविराम टूटते देखा है। इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हमें एलएसी या एलओसी पर सतर्क रहना होगा।

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कारगिल युद्ध के समय सेना प्रमुख रहे जनरल वेद प्रकाश मलिक ने द्रास की बर्फीली चोटियों पर तैनात सशस्त्र बलों के लिए हमेशा सतर्क रहकर कभी भी दुश्मन पर भरोसा न करने का संदेश दिया है, चाहे वह पाकिस्तान हो या चीन। उन्होंने विश्वास जताया कि अगर आज युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है, तो भारत कारगिल की तुलना में बेहतर तरीके से तैयार है।
जनरल मलिक द्रास के लोचामेन व्यू पॉइंट पर एक कार्यक्रम में आए थे, जहां युद्ध नायकों और शहीद सैनिकों के परिवारों ने बहादुर सैनिकों को याद किया।

उन्होंने कहा कि कभी भी अपने दुश्मन पर भरोसा मत करो, भले ही समझौतों पर हस्ताक्षर करने जैसा दोस्ती का राजनीतिक दिखावा हो। यह कारगिल युद्ध से पहले भी हुआ था। दोनों देशों ने हाल ही में एक समझौते (लाहौर घोषणा) पर हस्ताक्षर किए थे और हम आश्चर्यचकित रह गए थे। उन्होंने कहा कि कुछ ही महीनों के भीतर मुजाहिदीन या जिहादियों ने नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना ने हमारे क्षेत्र में घुसपैठ की।

उन्होंने कहा कि कोई देश राजनीतिक रूप से मित्रता दिखा रहा है तो भी आत्मसंतुष्टि के लिए कोई जगह नहीं है। जनरल मलिक ने कहा कि युद्धविराम हो या न हो मैंने कई बार युद्धविराम टूटते देखा है। इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हमें एलएसी या एलओसी पर सतर्क रहना होगा।

जनरल मलिक ने कहा कि सशस्त्र बल बदल गए हैं। हमारे पास बेहतर उपकरण, बेहतर निगरानी है और हम हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने पाकिस्तान के साथ 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान की स्थिति को याद किया और कहा कि चुनौतियां केवल इलाके और मौसम तक ही सीमित नहीं थीं, बल्कि उपकरण के हिस्से पर भी थीं।

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