दिल्ली के पटियाला हाउस न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग के मामले में 11 फरवरी को हिजबुल मुजाहिद्दीन के आठ संदिग्ध आरोपितों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। न्यायालय ने इन सभी को 30 मार्च को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया।
इनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट
11 फरवरी को सुनवाई के दौरान एडिशनल सेशंस जज प्रवीण सिंह ने जम्मू कश्मीर में टेरर फंडिंग मामले में गुलाम नबी खान, उमर फारुख शेरा, मंजूर अहमद डार, जफर हुसैन भट्ट, नाजिर अहमद डार, अब्दुल माजिद सोफी, मुबारक शाह और मोहम्मद युसूफ के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है।
भगोड़ा घोषित
ईडी के स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर नीतेश राणा ने कहा कि यह आरोपित 2013 में ही भगोड़ा घोषित किए जा चुके हैं और कोर्ट का समन जारी होने के बावजूद पेश नहीं हो रहे हैं। उसके बाद न्यायालय ने इन आरोपितों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है।
न्यायालय ने ईडी को निर्देश दिया कि वह चार्जशीट की कॉपी आरोपितों मोहम्मद शफी शाह और मुश्ताक अहमद लोन, मुजफ्फर अहमद डार और तालिब लाली को सौंपें। सुनवाई के दौरान आरोपित मुजफ्फर अहमद डार ने जेल अधिकारियों पर आरोप लगाया कि उसे उसके परिजनों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात नहीं करने दी जा रही है। उसके बाद न्यायालय ने जेल अधिकारियों से रिपोर्ट तलब किया। 8 दिसंबर 2021 को कोर्ट ने इस मामले में हिजबुल मुजाहिद्दीन सैयद सलाहुद्दीन समेत दस आरोपितों के खिलाफ ईडी की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। ईडी ने अगस्त 2020 में चार्जशीट दाखिल किया था।
ये हैं आरोप
ईडी की चार्जशीट के मुताबिक मोहम्मद शफी शाह, तालिब लाली, युसूफ शाह ऊर्फ सैयद सलाहुद्दीन, गुलाम नबी खान, उमर फारुख शेरा, मंजूर अहमद डार, जफर हुसैन भट्ट, नाजिर अहमद डार, अब्दुल माजिक सोफी और मुबारक शाह ने पाकिस्तान के जरिये पहुंचे धन से भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए साजिश रची। इसके लिए हिजबुल मुजाहिद्दीन और दूसरे आतंकी संगठनों के कार्यकर्ताओं की मदद ली गई और हथियार और विस्फोटक खरीदे गए।
करोड़ों की फंडिंग का मामला
ईडी के वकील नीतेश राणा और अली खान ने कहा कि आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए हिजबुल मुजाहिद्दीन ने करीब 80 करोड़ रुपये की फंडिंग की। फंडिंग की पूरी जानकारी जुटाने के लिए श्रीनगर के कस्टम और आबकारी विभाग को पत्र लिखा गया ताकि जम्मू-कश्मीर की उन कंपनियों का पता लगाया जा सके जो टेरर फंडिंग में भारतीय कंपनियों के साथ रहीं। ईडी ने नवंबर 2019 में टेरर फंडिंग के मामले में बांदीपोरा के मोहम्मद शफी शाह, अनंतनाग के गुलाम नबी और पांच दूसरे संदिग्धों की संपत्तियां जब्त की थी। इन पर आतंकी संगठनों की फंडिंग का आरोप है। सैयद सलाहुद्दीन समेत 12 अलगावादियों के खिलाफ एनआईए ने चार्जशीट दाखिल की थी, जिसके बाद ईडी ने भी मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया था।