Operation Rahul:1999 में कारगिल युद्ध हुआ। दुनिया को लगा कि युद्ध खत्म हो गया है लेकिन नियंत्रण रेखा पर युद्ध अभी भी जारी था। पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम के हमले में हमारी मराठा बटालियन के 10 जवान हुतात्मा हो गए, भारतीय सेना के लिए यह बहुत ही दुखद बात मानी गई। उन्होंने एक पोस्ट से एक जवान का सिर काट दिया, जहां से उन्होंने उसे ले जाकर फुटबॉल खेला और बाद में परवेज़ मुशर्रफ से मिलने के बाद इलियास अली को एक लाख रुपये का इनाम दिया। इसके बाद बदला लेने का फैसला किया गया।
तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल ब्रिगेडियर विनोद ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया, “मराठा बटालियन और 18 बटालियन को काम सौंपा गया। सभी ब्रिगेडियर की योजना सुनी गई, मेरी योजना सुनी गई और उस पर काम करने का निर्णय लिया गया। हर बटालियन में एक कंपोनेंट यूनिट होती है, जिसमें युवा होते हैं, सोचा कि कंपोनेंट यूनिट का उपयोग इसके लिए किया जाना चाहिए, फिर सोचा कि मेरी बटालियन का जवान ऐसा क्यों नहीं कर सकते, क्योंकि गढ़वाल राइफल्स को यह काम दिया गया था। नियम ये है कि जिस पोस्ट के सामने हमला करना है, उसी कंपनी की बटालियन को उस पोस्ट का चार्ज दिया जाना चाहिए। उस समय अमिताभ रॉय उस पद के प्रमुख थे, जो इसके लिए बेहद उपयुक्त थे।”
ब्रिगेडियर विनोद खंडारे ने आगे बताया,” इस टीम में 2 अधिकारी और 16 जवानों की टीम दिन-रात ट्रेनिंग करने लगी। हमने रेकी भी की, इतनी तैयारी की कि हम सुन सकें कि दुश्मन के बंकर में क्या कहा जा रहा है। हमने गोलाबारी शुरू कर दी, जिससे उनका ध्यान अन्य चौकियों पर चला गया और उनका ध्यान रिंगकट्टू बिंदु से हट गया। उस समय 27-28 अक्टूबर 2000 की रात को पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। हमने रात में यह ऑपरेशन शुरू किया और हमने अपनी लोकेशन तय की। नहर में उतरे, रॉकेट लॉन्चर दागने के साथ ऑपरेशन शुरू हुआ। हमने शत्रु बैंकरों को नष्ट कर दिया। ऐसे दो बंकर नष्ट कर दिए गए। तब तक दुश्मन को पता नहीं था कि क्या हो रहा है। इसके बाद दोनों तरफ से फायरिंग शुरू हो गई। हम तीन लोगों का दस्ता एक बंकर को निशाना बनाने जा रहा था लेकिन उसी वक्त उस बंकर से ग्रेनेड हमारी तरफ आने लगे। उस समय सूबेदार हर्षवर्द्धन प्रसाद हमारे साथियों को अधिक घायल होने से बचाने के लिए आगे बढ़े, पैर में मोच आने के बावजूद उन्होंने बंकर में सभी को ख़त्म कर दिया और वापस लौट आये। उस समय मुझे गर्व हो रहा था।”
ब्रिगेडियर खंडारे ने बताया, “हम कहते हैं कि आपको कभी भी अपने पार्टनर का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। यह सूबेदार गब्बर सिंह पूरी तरह से बेहोश था, वजन में भारी होने के बावजूद हमने उसे उठाया और उसकी जान बचाई। दो दिनों से हम नरगिस खंजर पोस्ट पर फायरिंग कर रहे थे, इसलिए रिंगकट्टू पोस्ट से दुश्मन को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। मेजर रॉय को वीर चक्र मिला।”
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उन्होंने बताया,” पंजाब के 15 सीओ ने आजाद कश्मीर के कमांडर को हटाया, इससे पाकिस्तान को बड़ा सबक मिला, अगर दोबारा ऐसा किया तो खैर नहीं। ब्रिगेडियर अमिताभ रॉय के बेटे का नाम राहुल था इसलिए मैंने इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन राहुल रखा। और इसी के पराक्रम से हमने जीत हासिल की। हालांकि हमने इस लड़ाई में काफी कुछ गंवाया, लेकिन हमने देश को बचा लिया। यह हमारे लिए सबसे गर्व की बात थी।”
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