चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति परिवर्तनशील है और राष्ट्रीय रणनीति का लक्ष्य बदलावों को इस तरीके से आत्मसात करना होना चाहिए ताकि अवसरों का लाभ उठाया जा सके। 14 जुलाई को नई दिल्ली में डीआरडीओ के वार्षिक कार्यक्रम, डीआरडीओ निदेशक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए जनरल चौहान ने उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रदर्शन, सुधार, परिवर्तन, जानकारी और अनुरूपता की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और रणनीति में श्रेष्ठता समय की मांग है और भारतीय सशस्त्र बल नई प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रहे हैं। संयुक्तता, एकीकरण और युद्धक्षेत्र के अनुरूप तैयारी के सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हुए जनरल अनिल चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में युद्धक्षेत्र के अनुरूप तैयारी की अवधारणा एक मौलिक परिवर्तन है, जो शुरु की जाने वाली है।
जनरल अनिल चौहान ने कहा, “यह आज़ादी के बाद किए गए दूरगामी प्रभावों वाले सबसे महत्वाकांक्षी परिवर्तनों में से एक है। संयुक्तता और एकीकरण की दिशा में उठाए जाने वाले सही कदमों पर, इस यात्रा की शुरुआत निर्भर करती है। युद्धक्षेत्र के अनुरूप तैयारी में संघर्ष के पूरे परिदृश्य पर प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए तीनों सेवाओं वाले युद्धक्षेत्र विशिष्ट संरचनाओं का निर्माण शामिल है।”
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने अपने उद्घाटन भाषण में युद्ध की प्रकृति में होने वाले बदलावों और उनमें शामिल गंभीरता पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया के लक्ष्य के अनुरूप सुधार और बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया।
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