आतंकी और नकस्ली देश के दो बड़े दुश्मन हैं। एक बाहर से घुसपैठ कर देश में अशांति और दंगे-फसाद कराने का षड्यंत्र रचता है और दूसरा देश के भीतर घात लगाकर हमला कर सरकार के साथ ही लोगों की चिंत बढ़ाता है। अब इन दोनों पर नकेल कसने की दिशा में केंद्र सरकार बड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
कश्मीर में काफी हद तक आतंकियों की फंडिंग रोकने में सफलता मिलने के बाद अब नक्सलियों की फंडिंग पर भी शिकंजा कसने की दिशा में सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। उसने यह काम देश की केंद्रीय एजेंसियों को सौंपा है।
इन एजेंसियो को दी गई जिम्मेदारी
मिली जानकारी के अनुसार एनआईए, ईडी, सीबीआई, सीबीडीटी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को नक्सलियों की फंडिंग को रोकने का जिम्मा दिया गया है। यह केंद्र सरकार के ‘नक्सलियों का सफाया’ अभियान का एक हिस्सा बताया जा रहा है।
नक्सलियो के खिलाफ इस तरह के अभियान को बिना स्थानीय पुलिस और एजेंसियों के सहयोग के सफल नहीं बनाया जा सकता। इसलिए केंद्र ससरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर ही नक्सलियों के सफाए की रणनीति तैयार की है। फिलहाल नक्सलियों का सबसे बड़ा वित्तीय स्रोत हफ्ता वसूली( धन उगाही) है। इसके साथ ही अन्य स्रोतों में हवाला नेटवर्क शामिल है। इन सब पर एजेंसियों की नजर रहेगी।
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