चीन की आंखों में किरकिरी बना क्वाड देशों का नौसैन्य अभ्यास मालाबार ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर ख़त्म हो गया। इसके साथ ही चीन को कड़ा संदेश मिल गया। समुद्री और बंदरगाह चरणों में युद्ध के सभी तीन क्षेत्रों में विभिन्न जटिल और उच्च तीव्रता वाले अभ्यास किये गए, जिसमें हथियार फायरिंग अभ्यास सहित सतह-रोधी, हवा-रोधी और पनडुब्बी-रोधी अभ्यास शामिल हैं। इस बहुपक्षीय समुद्री अभ्यास पर निगरानी के लिए चीन ने सैकड़ों उपग्रह तैनात किए थे।
ऑस्ट्रेलिया ने की मेजबानी
ऑस्ट्रेलिया की मेजबानी में पहली बार हुए क्वाड देशों की नौसेनाओं के जटिल समुद्री अभ्यास मालाबार में शीर्ष नौसैन्य कमांडरों के साथ हिंद-प्रशांत पर भी चर्चा हुई। इस समुद्री अभ्यास में भारतीय नौसेना, रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना (आरएएन), जापान मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (जेएमएसडीएफ) और अमेरिकी नौसेना (यूएसएन) के जहाजों, पनडुब्बियों और विमानों की भागीदारी देखी गई। अभ्यास के दौरान युद्ध के सभी तीन क्षेत्रों में विभिन्न जटिल और उच्च तीव्रता वाले अभ्यास किये गए, जिसमें लाइव हथियार फायरिंग सहित सतह-रोधी, हवा-रोधी और पनडुब्बी रोधी अभ्यास शामिल हैं।
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बहुपक्षीय समुद्री अभ्यास
इस बहुपक्षीय समुद्री अभ्यास ने भारतीय नौसेना को अपनी क्षमता प्रदर्शित करने का अवसर दिया और अपने साझेदार देशों से समुद्री सुरक्षा संचालन में सर्वोत्तम प्रथाओं से लाभ लेने का मौका भी मिला। मालाबार अभ्यास के 27 वें संस्करण में 11-15 अगस्त तक बंदरगाह चरण और 16-21 अगस्त तक समुद्री चरण शामिल था। इस समुद्री अभ्यास की मालाबार श्रृंखला 1992 में भारतीय नौसेना और अमेरिकी नौसेना के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू हुई थी। पिछले कुछ वर्षों में इसका कद इतना बढ़ गया है कि इसमें भारत-प्रशांत क्षेत्र की चार प्रमुख नौसेनाओं को शामिल कर लिया गया है।
भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व स्वदेश निर्मित विध्वंसक आईएनएस कोलकाता, फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्रि और पी-8आई समुद्री गश्ती विमान ने किया। इसके अलावा ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के जहाज चॉल्स और ब्रिस्बेन, अमेरिकी नौसेना के जहाज राफेल पेराल्टा, जापानी जहाज शिरानुई के साथ-साथ पनडुब्बियां, लड़ाकू विमान, समुद्री गश्ती विमान, जहाज पर चलने वाले हेलीकॉप्टर अभ्यास में शामिल हुए। पांच दिनों के विविध अभ्यासों के समापन पर अभ्यास मालाबार ने सभी के लिए शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने वाले एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक को सुनिश्चित करने के लिए भाग लेने वाले चारों देशों के बीच मजबूत सहयोग, साझा मूल्यों और सामूहिक क्षमता को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया।
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