रिपोर्ट – महेश सिंह
अंबाला। दुनिया के सबसे मारक और शक्तिशाली बाहुबली लड़ाकू विमान राफेल के भारतीय सेना में शामिल होते ही दुश्मन देशों का कलेजा कांप उठा है। पाकिस्तान और चीन जैसे देश तो पहले से ही हमारी सेना के जवानों से आंख मिलाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। अब राफेल की एंट्री के बाद तो उनमें भूचाल आना निश्चित है, क्योंकि राफेल हर हाल में दुश्मनों पर शौर्य का कहर बरपाएगा और देशवासियों को जीत का जयघोष सुनाएगा।
एक भव्य सर्व धर्म पूजा के साथ राफेल भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हो गया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और सीडीएस जनरल विपिन रावत के साथ ही सेना प्रमुख आरके एस भदौरिया की विशेष उपस्थिति में यह हमारी वायुसेना के 17वें स्क्वाड्रन, गोल्डन एरो का हिस्सा बन गया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में शामिल होने के लिए फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले अपने 80 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल के साथ विशेष रुप से मौजूद थीं। अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर हुए इस समारोह के लिए भव्य तैयारी की गई थी और राफेल जेट के कई अनुभवी पायलट कई दिनों से इसके लिए अभ्यास कर रहे थे।
राफेल में है जीत का जोश
जून महीने के बाद लद्दाख सीमा पर शुरू हुए तनाव और चीन की घुसपैठ की जारी कोशिशों के बीच हमारी सेना में राफेल का शामिल होना सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। इससे चीन और पाकिस्तान जैसे हमारे दुश्मन देशों को कड़ा संदेश मिला है। भारत की यह तैयारी दिखाती है कि हम अपने देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं और इस बारे में किसी भी तरह का कोई सौदा-समझौता हमें बर्दास्त नहीं है। हम हर हाल में जीत चाहते हैं और राफेल के आने के बाद हमारी जीत सुनिश्चित हो गई है।
सामरिक दृ्ष्टि से ऐतिहासिक घटना
भारतीय सेना में राफेल का शामिल होना हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है, यह समारोह के दौरान स्पष्ट रुप से देखा जा सकता था। इसके लिए सबसे पहले पूजा की गई, उसके बाद फ्लाईपास्ट किया गया और तेजस, सुखोई समेत वायुसेना के कई अन्य विमानों ने एयर शो में हिस्सा लिया। अंत में वाटर कैनेन सैल्यूट के साथ राफेल को सलामी दी गई। इस तरह राफेल का भारतीय वायुसेना में शानदार स्वागत किया गया।
फ्रांस से कुल 36 राफेल का करार
फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमानों देने के लिए करीब 60 हजार करोड़ रुपए में हुए करार के मुताबिक 29 जुलाई को उसकी पहली खेप में पांच विमान भारत पहुंच चुके हैं। बाकी पांच विमानों की डिलवरी भी की जा चुकी है, लेकिन फिलहाल वे फ्रांस में ही हैं। हमारे पायलट वहीं इसकी ट्रेनिंग ले रहे हैं। उम्मीद है कि वर्ष 2021 के अंत तक फ्रांस सभी 36 विमानों की डिलवरी कर देगा।
चीन-पाक सीमा के पास राफेल की तैनाती
वायुसेना में राफेल को गोल्डन एरो 17 स्क्वाड्रन में शामिल किया गया है। इसी स्क्वाड्रन ने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान को पस्त कर दिया था। अब एक बार फिर अंबाला एयरबेस पर इसकी तैनाती से दुश्मनों का सीना अभी से थर्राने लगा है। देखनेवाली बात यह भी है कि चीन और पाकिस्तान की सीमा इस एयरबेस से बिलकुल पास है। स्वाभाविक है कि भारत ने रणनीतिक दृष्टिकोण से इसकी तैनाती अंबाला एयरबेस पर की है।
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