Indian Air Force: दो साल पहले पाकिस्तान में क्यों गिरा था ब्रह्मोस? भारतीय वायुसेना ने बताया कारण

हादसा 9 मार्च, 2022 को सॉफ्टवेयर अपग्रेड करके मिसाइल की रेंज बढ़ाकर परीक्षण किये जाने के दौरान हुआ था। ब्रह्मोस मिसाइल फायरिंग की दुर्घटना के संबंध में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त थी।

188

Indian Air Force ने दो साल पहले पाकिस्तान(Pakistan) में गिरी ब्रह्मोस लड़ाकू मिसाइल(BrahMos combat missile) की आकस्मिक फायरिंग(Accidental firing) के पीछे के कारणों का खुलासा(Reasons revealed) किया है। कोर्ट ऑफ इंक्वायरीCourt of Inquiry) के निष्कर्षों के आधार पर बताया गया है कि ब्रह्मोस मिसाइल के लड़ाकू कनेक्टर इसके ‘जंक्शन बॉक्स’ से जुड़े रह गये( Combat connectors remained connected to its ‘junction box’) थे और तकनीकी गलती(Technical fault) से ब्रह्मोस मिसाइल की दुर्घटनावश फायरिंग(Accidental firing of BrahMos missile) हुई थी। पड़ोसी देश में मिसाइल का प्रक्षेपण होने से भारतीय वायु सेना और राष्ट्र की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा। साथ ही सरकारी खजाने को 24 करोड़ 90 लाख 85 हजार का नुकसान हुआ।

9 मार्च, 2022 को हुआ था हादसा
यह हादसा 9 मार्च, 2022 को सॉफ्टवेयर अपग्रेड करके मिसाइल की रेंज बढ़ाकर परीक्षण किये जाने के दौरान तकनीकी गलती से हुआ था। अगले ही दिन इस्लामाबाद ने नई दिल्ली के सामने अपना विरोध दर्ज कराया था। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया के बाद भारत सरकार ने घटना पर खेद जताते हुए उच्चस्तरीय कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया था। घटना की जांच के लिए 11 मार्च, 2022 को गठित की गई कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के निष्कर्षों को साझा करते हुए भारतीय वायु सेना का कहना है कि यह ऐसी घटना थी, जिसका पाकिस्तान के साथ भारत के ‘संबंधों पर असर’ पड़ा।

फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती
दरअसल, इस घटना में दोषी करार दिए गए ‘कॉम्बैट टीम’ के विंग कमांडर अभिनव शर्मा ने सैन्य अदालत के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। इस याचिका पर वायु सेना ने 29 मार्च को अपना जवाबी हलफनामा दायर किया है। वायु सेना ने विंग कमांडर शर्मा के उस दावे को खारिज किया है कि वे इस दुर्घटना को रोकने में सक्षम नहीं थे। सभी गतिविधियां उनकी (शर्मा) उपस्थिति में मोबाइल ऑटोनॉमस लॉन्चर के अंदर हुई थीं। दिल्ली हाई कोर्ट में घटना का खुलासा करते हुए भारतीय वायुसेना ने बताया कि लड़ाकू मिसाइलों के लड़ाकू कनेक्टर ‘जंक्शन बॉक्स’ से जुड़े रह गये थे और मिसाइल लॉन्च करने का असुरक्षित कार्य नहीं रोका जा सका।

कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के दौरान 16 गवाहों से पूछताछ
महाधिवक्ता विंग कमांडर यूएन पाठक के मुताबिक कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के दौरान 16 गवाहों से पूछताछ की गई थी और ग्रुप कैप्टन सौरभ गुप्ता, स्क्वाड्रन लीडर प्रांजल सिंह और विंग कमांडर अभिनव शर्मा को लापरवाही का दोषी करार दिया गया। तीनों अधिकारियों की सेवाओं को समाप्त करने के लिए राष्ट्रपति को सिफारिश करने का निर्णय लिया गया था। सेवा से बर्खास्तगी के लिए वायु सेना अधिनियम, 1950 की धारा 19 और वायु सेना नियम, 1969 के नियम 16 के साथ कारण बताओ नोटिस जारी करके कार्रवाई शुरू की गई थी। 23 वर्षों के बाद भारतीय वायु सेना में ऐसा निर्णय लिया गया, क्योंकि इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के कारण ऐसी कार्रवाई की आवश्यकता थी।

Satyendar Jain: कम नहीं हो रहीं सत्येंद्र जैन की मुश्किलें, धन उगाही मामले की होगी सीबीआई जांच

अधिकारियों का किया गया था कोर्ट मार्शल
कमांडर पाठक ने सैन्य अदालत को बताया कि ब्रह्मोस मिसाइल फायरिंग की दुर्घटना के संबंध में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त थी, इसलिए तीन अधिकारियों का कोर्ट मार्शल के जरिए परीक्षण किया जाना उचित था। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में माना गया कि परीक्षण से जुड़ी टीम को पता था कि मिसाइल के लड़ाकू कनेक्टर जंक्शन बॉक्स से जुड़े हुए हैं, इसके बावजूद मोबाइल ऑटोनॉमस लॉन्चर से लड़ाकू मिसाइल की फायरिंग नहीं रोकी जा सकी। इसी का नतीजा रहा कि पड़ोसी देश में मिसाइल का प्रक्षेपण होने से भारतीय वायु सेना और राष्ट्र की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा। साथ ही सरकारी खजाने को 24 करोड़ 90 लाख 85 हजार का नुकसान हुआ।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.