झारखंड के बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षा बलों का परचम लहरा रहा है। इसमें 32 वर्षों का लंबा काल लगा। सीआरपीएफ की ओर से इस विषय में आधिकारिक घोषणा की गई है। यहां अब तक नक्सलियों का राज चलता था। लगभग 55 वर्गमीटर किलोमीटर में फैले बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों का अभेद्य गढ़ माना जाता था।
जून जुलाई 2022 में सुरक्षा बलों ने बूढ़ा पहाड़ से नक्सल निर्मूलन के लिए ऑपरेशन ऑक्टोपस चलाया था। सबसे पहले पहाड़ी की तलहटी में सुरक्षा बलों ने कैंप स्थापित किया। इसके बाद पहाड़ी के ऊपरी हिस्से की ओर सुरक्षा बल बढ़ने लगे। सुरक्षा बल के दल में झारखंड और छत्तीसगढ़ पुलिस, केंद्रीय आरक्षी पुलिस बल (सीआरपीएफ), जगुआर असॉल्ट ग्रुप, आईआरबी और कोबरा बटालियन के जवान थे।
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जीत के लिए ही उतरे थे सुरक्षा बल
बूढ़ा पहाड़ का घना जंगल और चोटियां सुरक्षा बलों को लिए अभेद्य साबित हो रहा था। वर्ष 2018 में एक ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों ने 6 सुरक्षा बलों के जवानों की हत्या कर दी थी। इससे सुरक्षा बलों में लंबे समय से आक्रोश था। अबकी बार जब यह सूचना मिली की बुढ़ा पहाड़ पर विभिन्न राज्यों से आए 50 से अधिक नक्सली कमांडर मौजूद हैं तो, सुरक्षा बलों ने अंतिम हमला करने का निर्णय किया। इसमें ऑपरेशन ऑक्टोपस की रूपरेखा बनी। इस अभियान की कमान आईजी संजय आनंद लाठकर ने संभाली, यह दल एसटीएफ के डीआईजी अनूप बिरथरे के नेतृत्व में काम कर रही थी। इसमें गढ़वा और लातेहार के पुलिस अधीक्षक भी शामिल थे। इसके अलावा बड़ी संख्या में केंद्रीय सुरक्षा बल, नक्सल निर्मूलन के लिए बने कोबरा बटालियन के जवान शामिल हुए।
Buddha Pahad in Jharkhand which was Naxal dominated area has been freed from Naxals
Forces were sent there with the help of MI-17 helicopters. A permanent camp has been established there for the forces which was done under three different operations
– DG @crpfindia pic.twitter.com/Et0PQQwm3R
— PIB India (@PIB_India) September 21, 2022
दर्जनों मुठभेड़ों के बाद मिली विजय
सुरक्षा बल और नक्सलियों के बीच दर्जनों बार मुठभेड़ हुई। पहाड़ियों की तलहटी में सुरक्षा बलों का कैंप था, वे धीरे-धीरे आग बढ़ रहे थे। लेकिन इस बार रणनीति में सबसे बड़ा उलट फेर करते हुए सुरक्षा बलों ने हेलीकॉप्टर का उपयोग किया। जिससे पहाड़ी में ऊंचे स्थानों पर बंकरों में छिपे नक्सलियों की कमर ही टूटने लगी। इसमें विजयी कदम था बूढ़ा पहाड़ पर हेलीकॉप्टर से सुरक्षा बलों का उतरना। अदम्य वीरता के साथ 4 सितंबर के मध्य नक्सलियों के एक बड़े बंकर पर सुरक्षा बलों ने कब्जा कर लिया। इसमें 106 लैंड माइन, एसएलआर की गोलियां, तीर बम, कोडेक्स वायर बरामद हुआ। नक्सलियों का जोर कमजोर होता गया और वे पलायन को मजबूर हो गए। जिसके बाद सुरक्षा बलों ने 55 वर्ग किलोमीटर में फैले बूढ़ा पहाड़ की चोटियों पर कैंप स्थापित कर लिये हैं। 32 वर्षों बाद यह क्षेत्र सुरक्षा बलों के कब्जे में आया है।