सर्वोच्च न्यायालय ने राफेल लड़ाकू विमान की खरीद के मामले में फ्रांस की मीडिया में हुए खुलासे को देखते हुए सौदे की नए सिरे से जांच करने की मांग करने वाली याचिका सोमवार को ख़ारिज कर दी। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसके साथ ही याचिकाकर्ता और वकील मनोहर लाल शर्मा को याचिका वापस लेने की अनुमति भी दे दी।
दरअसल, फ्रांस की वेबसाइट मीडिया पार्ट ने खुलासा किया था कि इस मामले में एक भारतीय बिचौलिये को रिश्वत दी गई। इसी को आधार बनाकर वकील मनोहर लाल शर्मा ने याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर, 2018 को राफेल डील के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि रक्षा के मामलों की न्यायिक समीक्षा के लिए कोई यूनिफॉर्म मापदंड नहीं है। राफेल डील की प्रक्रिया को लेकर कभी भी संदेह नहीं किया गया।
फैसला सुनाते हुए तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि कुछ लोगों की धारणा के आधार पर कोर्ट कोई आदेश नहीं दे सकता। कोर्ट ने कहा था कि कीमत की समीक्षा करना कोर्ट का काम नहीं है, जबकि एयरक्राफ्ट की ज़रूरत को लेकर कोई संदेह नहीं। कोर्ट ने फ़ैसले में ऑफसेट पार्टनर चुनने पर कहा था कि उसे किसी का फ़ेवर करने के सबूत नहीं मिले।
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