लद्दाख में चीन को जवाब देने की पूरी तैयारी! इस तरह रखी जा रही है चालबाज पर पैनी नजर

भारत द्वारा लद्दाख में सीमा पर आवाजाही पर नजर रखने के लिए बड़ी संख्या में ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए इजरायल और भारत में बने ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीन की गतिविधियां फिर तेज हो गई हैं। इसी के साथ दोनों देशों के बीच एक बर फिर तनाव बढ़ने लगा है। चीन ने पूर्वी लद्दाख में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास अपने क्षेत्र में 50,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है। इसके साथ ही वह ड्रोन की मदद से भारतीय सुरक्षा चौकियों पर भी नजर रख रहा है। वह भारतीय सीमा पर घटनाक्रम पर नजर रखने के लिए बड़ी संख्या में ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है।

दूसरी ओर भारत उसकी एक-एक हरकतोें पर पैनी नजर बनाए रखने के साथ ही उसे हर तरह से जवाब देने को तैयार है। हालांकि भारत इस मामले में काफी संयम बरत रहा है, लेकिन वह अपनी सरहदों की सुरक्षा में किसी भी कीमत पर कोई कोताही नहीं बरतने के लिए प्रतिबद्ध है।

इन क्षेत्रों पर चीन की नजर
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना दौलत बेग ओल्डी सेक्टर, गोगरा हाइट्स और आसपास के इलाकों पर नजर रखे हुए है। चीन के ड्रोन पर भारत की भी पैनी नजर है। चीन विभिन्न माध्यमों से भारत की गतिविधियों पर नजर रख रहा है।

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ड्रोन्स बनाम ड्रोन्स
भारतीय सेना के सूत्रों ने कहा कि भारत द्वारा सीमा पर आवाजाही पर नजर रखने के लिए बड़ी संख्या में ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए इजरायल और भारत में बने ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में अब भारत-चीन सीमा पर ड्रोन के जरिए एक-दूसरे को मात देने की कोशिश की आशंका जताई जा रही है।

तिब्बत में जबरन भर्ती
चीन द्वारा पूर्वी लद्दाख की सीमा से लगे सीमावर्ती इलाकों में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है। चीन सर्दियों में अपने सैनिकों को ठहराने के लिए कपड़े के तंबू के बजाय स्थायी घरों और ईंट-सीमेंट का उपयोग करके कैंप बनाने की कोशिश कर रहा है। चीनी सरकार इन सेवाओं के माध्यम से चीनी सैनिकों का मनोबल बढ़ा रही है, जो पहाड़ी इलाकों में भारतीय सैनिकों के सामने कमजोर साबित होते हैं।

तिब्बत के युवाओं को बिल का बकरा बनाना चाहता है चीन
चीन ने तिब्बत में भारी निवेश करना शुरू कर दिया है ताकि वह भारतीय सीमा पार कर सके। तिब्बत में कई युवाओं को जबरन सेना में भर्ती किया जा रहा है। उसका मानना ​​है कि नियंत्रण रेखा पर संघर्ष होने पर इन स्थानीय युवाओं को युद्ध में बलि का बकरा बनया जा सकता है।

दुनिया भर में चीन का विरोध
भारत और चीन के बीच 3,888 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा (एलओसी) है। चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा मानता है। लेकिन दूसरी तरफ भारत ने दो टूक कह दिया है कि वह चीन को एक इंच भी जमीन नहीं देगा। तालिबान का समर्थन करने वाले चीन के खिलाफ दुनिया भर में माहौल बना हुआ है। क्वाड के साथ ही कई देशों ने दक्षिण चीन सागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की मनमानी के खिलाफ आवाज उठाई है।

भारत शांत लेकिन तैयार
भारत एक तरफ जहां बातचीत के जरिए मसले को सुलझाना चाहता है, वहीं दूसरी तरफ चीन ने इस तरह से सैनिकों की तैनाती कर दी है। भारत ने भी कहा है कि बातचीत के जरिए मुद्दों को सुलझाना हमारी प्राथमिकता है, लेकिन अगर वह नहीं मानता है तो हम तैयार हैं।

झूठी जानकारी फैला रहा है चालबाज चीन
चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने चीन को झूठी जानकारी न फैलाने की सलाह देते हुए कहा कि भारत और चीन दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाएं हैं। इस स्थिति में किसी मुद्दे पर दोनोें का असहमत होना सामान्य बात है। मिसरी ने कहा कि दोनों देशों को संघर्ष समाप्त कर सीमा पर शांति बहाली के लिए प्रयास करना चाहिए।

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