एंटीलिया केस की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अब इस मामले में यूएपीए के तहत कार्रवाई की जाएगी। निलंबित मुंबई के सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे पर अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (एनआईए) लगाया गया है। इस धारा का मुख्य काम आतंकवादी गतिविधियों को रोकना होता है। इस कानून के तहत पुलिस या एजेंसी ऐसे आतंकियों, अपराधियों या अन्य लोगों की पहचान करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं। वे इसके लिए लोगों को तैयार करते हैं या फिर खुद ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। इसमें दोषी पाए जाने पर उम्र कैद या कम से कम पांच साल की सजा हो सकती है।
काजी को बनाया जा सकता है सरकारी गवाह
चर्चा है कि सचिन वाझे के मुख्य सहयोगी रहे रियाजुद्दीन काजी को एनआईए सरकारी गवाह बना सकती है। सूत्रों के मुताबिक एनआईए ने इस बारे में अदालत को भी जानकारी दी है। काजी वाझे की गिरफ्तारी से पहले अंबानी विस्फोटक और मनसुख हिरेन मामले में उनके सहयोगी अधिकारी रहे हैं। काजी का तबादला एक दिन पहले ही आर्म्स यूनिट में किया गया है।
एटीएस ने गिरफ्तार दोनों आरोपियों को एनआईए को सौंपा
इस बीच एटीएस ने ठाणे की अदालत के आदेश पर अमल करते हुए मनसुख हिरेन केस एनआईए को सौंप दिया है। उसने अन्य सबूतों के साथ ही मामले में गिरफ्तार दोनों आरोपियो को भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी के हवाले कर दिया है। इससे पहले ठाणे सत्र न्यायालय का आदेश महाराष्ट्र एटीएस के लिए बड़ी झटका लेकर आया। जिसमें मुख्य न्याय दंडाधिकारी ने आदेश दिया कि एटीएस तुरंत मनसुख हिरेन प्रकरण में अपनी जांच रोक कर इसके कागज राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपे। इस प्रकरण की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को केंद्रीय गृहमंत्रालय ने सौंपा था।
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महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी प्रकोष्ठ (एटीएस) को झटका लगा है तो सरकार को तगड़ा झाटका लगा है। मनसुख हिरेन की मृत्यु की जांच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया था। लेकिन इसके बावजूद एटीएस इस प्रकरण की जांच जारी रखे हुए थी। एक ओर एंटीलिया के पास विस्फोटक से लदी एसयूवी कार प्रकरण की जांच एनआईए कर रही है।
सेक्शन 8 के तहत एनआईए को मिला अधिकार
एनआईए को प्रदत्त अधिकारों के अनुसार ही केंद्रीय गृहमंत्रालय ने मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के पास मिली विस्फोटक लदी एसयूवी की जांच का प्रकरण सौंपा था। इसके अनुसार किसी एक अनुसूचित अपराध की जांच एनआईए कर रही है तो वह साथ में अपराधी द्वारा किये गए अन्य किसी मामले की जांच भी कर सकती है। यह उस स्थिति में जब अपराध का अनुसूचित अपराध के साथ कोई संबंध हो।
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